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________________ महामन्त बमोकार वर्ष, माज्या (पदक्रमानुसा) / 133 बात अवश्य रही होगी। विद्वानों ने इस पर विचार किया है और समाधान भी प्राप्त किया है। निश्चय नय की दष्टि से तो सिद्ध परमेष्ठी ही क्रम में प्रथम आते है परन्तु अरिहन्तों के द्वारा ही जनसमुदाय को उपदेश का लाभ होता है और मुक्ति का मार्ग खुलता है, सिद्धो से इस बात में वे आगे हैं। दूसरी बात यह है कि अरिहन्तों के कारण सिद्धों के प्रति लोगों मे अधिक श्रद्धा उत्पन्न होती है। अतः उपकार की अपेक्षा से ही अरिहन्तो को प्राथमिकता दी गयी है। पच परमेष्ठियों पर वास्तविक गुणों के धरातल पर विचार किया जाए तो अरिहन्त और सिद्ध तो आत्मोपलब्धि के निश्चय के कारण साक्षात देव कोटि (प्रभु कोटि) मे आते हैं। शेष तीन परमेष्ठी अभी साधक मात्र है अत वे गुरु कोटि मे आते है। ये तीन तो अभी अरिहन्त एव सिद्ध के उपासक है और गृहस्थो एव श्रावको द्वारा पूज्य हैं। इसी प्रकार दूसरी शका यह उठती है कि साधु परमेष्ठी आचार्य और उपाध्याय से श्रेष्ठ हैं क्योंकि आचार्य और उपाध्याय साधू अवस्था धारण करके ही मुक्ति प्राप्त कर सकते है और अभी वे साधु नही है। यहा ध्यान फिर द्रव्य और भाव पक्ष पर देना है। मुनि या साध को उपदेश देने का कार्य आचार्य एव उपाध्याय ही करते हैं । अतः इसो भाव या अन्तरग पक्ष का ध्यान रखकर उक्त क्रम रखा गया है। ज्ञान के धरातल पर उपाध्याय आचार्य से भो आगे होते हैं परन्तु आचार्य परमेष्ठी द्वारा प्रकट शासन व्यवस्था और धार्मिक संघों का चरित्र पालन होता है अतः उन्हें इसी उपकार एव व्यवहार भावना के कारण उपाध्याय से पहले स्थान दिया गया है। डॉ. नेमीचन्द ज्योतिषाचार्य का विचार भी पदक्रम के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण एव विश्वसनीय है-'ऐसा प्रतीत होता है कि इस महामन्त्र मे परमेष्ठियो को रत्नत्रय गुण की पूर्णता और अपूर्णता के कारण दो भागों में विभक्त किया गया है। प्रथम विभाग में अरिहन्त और सिद्ध है। द्वितीय विभाग मे आचार्य उपाध्याय और साध हैं। प्रथम विभाग मे रत्नत्रय गुण की न्यूनता वाले परमेष्ठी को पहले और रत्नत्रय गुण की पूर्णता वाले परमेष्ठी को पश्चात् रखा गया है। इस क्रम के अनुसार
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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