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________________ रुपसुंदरी. VAAAAAAnan प्रकरण ६ ई.) सत्य हकिकत जणाई आवी. - muti+ । Hinin - का --- --- - तरुण बहार आवतांज अभयकुमारे ' आ हरामखोरने पकडी राखो' एवी एकदम गर्जना करी, अने तेज वखते हेने चतुर्भूज करवामां आव्यो. पछी अभयकुमार हेनी पासे जई अत्यंत शांतपणे बोल्याः - " तरुण ग्रहस्थ : हारे हजु पण जो म्हारी पासेथी दयानी अपेक्षा करवानी होय तो पोतार्नु खलं स्वरुप प्रकट करी खरी हकिकत शुं छे ते कई." , हवे आडाअवळां व्हानां काढवामां फायदो नथी एवं ते तरुणने म्हमजायु. पोते संपादन करेला अलौकिक सामर्थ्य साथे खरी अक्कल थोडी पण राखी होत तो ओरडीमाथी हार नीकळवा, आवा प्रकारे मूर्खपणुं कर्यु न होत अने त्यारेज रुपसुंदरीनी प्राप्तिनी काईपण आशा राखी शकात, परंतु हवे तेनो शुं उपयोग ? ते करतां तेमने सघळी खरी हकीकत कही तेमनी दयानीज अपेक्षा करवी तेज उत्तम छे.
SR No.010133
Book TitleMahavir Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Hirachand Gandhi
PublisherMotilal Hirachand Gandhi
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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