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________________ (५) कुछ व्यक्ति यह तर्क करते हैं कि ससार में जीवन के लिए संघर्ष चलता रहता है। बाज़ की श्रेणी के बडे पक्षी अपने से छोटे पक्षियो को खाकर जीवित रहते हैं। छोटे पक्षी कीडे-मकोडो को खाकर जीवित रहते है। शेर, चीते, भेडिये आदि पशु हिरण, भेड, बकरी, इत्यादि पशुओ को खाकर जीवित रहते है। भेड, बकरी, गाय आदि पशु घास व फल-फूल (इनमे भी जीवन होता है) आदि खाकर जीवित रहते हैं । बडी मछलिया व मगरमच्छ आदि छोटी मछलियो को खाते है। छोटी मछलिया छोटे-छोटे कीडो व वनस्पतियो को खाती हैं। मनुष्य भी अन्न व फल आदि, जिनमे जीवन होता है, से ही अपना पेट भरता है। इस प्रकार जब सारे संसार मे जीवन के लिये हिंसा करनी ही पडती है तो फिर मनुष्य को ही अहिंसा का उपदेश देना क्यो आवश्यक है ? ___ ऊपर जिन पशु-पक्षियो के उदाहरण दिये हैं, वे स्वभाव से ही हिंसक हैं। प्रकृति ने ही उनको इस प्रकार का बनाया है। उनके अग-प्रत्यगो की बनावट ही इस प्रकार की है, जिससे कि वह अपने खाद्य पशु-पक्षियो को पकड सके व मार कर खा सके । उनके दात और आते भी इसी प्रकार को होती हैं जिनसे कि वे कच्चा मास खा सके और पचा सके । इस प्रकार वे अपनी प्रकृति के अनुसार ही अपने से निर्बल प्राणियो को खाकर जीवित रहते हैं। इसके अतिरिक्त वे स्वय कोई खाद्य पदार्थ उत्पन्न भी नहीं कर सकते। फिर भी हिंसा उनका धर्म नही है। यदि हिंसा उनका धर्म होता तो उनको अपने स्वयं के चोट लगने का और वध होने का भय भी नही होता। वे अपनी जाति के जीवो और अपने बच्चो को भी मारकर खा जाते। परन्तु ऐसा
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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