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________________ एक सच्चा अहिंसक कर्म क्षेत्र से कभी मुंह नही मोडता, वह तो विपक्षी का सामना ही करेगा, चाहे वह आत्मबल से करे और चाहे शारीरिक व शस्त्रबल से, ऐसा करने में चाहे उसको कितनी ही हानि व शारीरिक कष्ट क्यो न उठाना पडे। इसीलिए कहा जाता है कि अहिंसा कायरो का नही, वीरो का धर्म है। (३) कुछ व्यक्ति यह कहते हैं कि शेर, चीते, भेडिये, साप, बिच्छ्, ततैया आदि जीव मनुष्य को कष्ट देते हैं, इसलिये ऐसे जीवो को मारने में कोई बुराई नहीं है। परन्तु इस तर्क का अनुमोदन नही किया जा सकता। तथ्य तो यह है कि सभी जीव मनुष्य से डरते हैं। वे उसी दशा मे मनुष्य पर आक्रमण करते हैं जब उनको यह भय होता है कि यह मनुष्य हमारा अनिष्ट करेगा अथवा उनको तीव्र भूख लग रही हो, अन्यथा वे जीव तो मनुष्य को देखकर उससे छिपने का ही प्रयत्न करते हैं। साप, बिच्छू, ततैया आदि जीव भी तभी काटते हैं जब उनको छेडा जाता है या उनके ऊपर पैर पड़ जाता है। यदि हम ऐसे जीवो को यह बहाना बनाकर मारने लगें कि वे हिंसक हैं तो हम उनसे भी बड़े हिंसक होगे। हमारा न्याय कौन करेगा? वे जीव तो केवल लाचारी मे ही मनुष्य पर आक्रमण करते हैं, परन्तु मनुष्य तो अपनी जिह्वा के स्वाद के लिए, अपने शरीर को सजाने के लिए और अपने मनोरजन के लिए मूक प्राणियो की सामूहिक हत्या करता रहता है। वे पशु-पक्षी तो केवल दूसरी जाति के जीवो की हो हत्या करते हैं और वह भी अपने प्रकृतिप्रदत्त स्वभाव के कारण; परन्तु मनुष्य तो अपनी तृष्णा और स्वार्थ के वश मनुष्यों-अपने बन्धुओ-को हत्या करने से भी नहीं हिचकिचाता। ६२
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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