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________________ अहिंसा का क्षेत्र प्राचीन काल से ही सामाजिक, राष्ट्रीय व विश्व शाति का मूल आधार अहिसा हो रही है। आज के भौतिक युग मे जब अनेक प्रकार के घातक अस्त्र-शस्त्रो का आविष्कार हो गया है तब अहिसा का महत्त्व और भी बढ़ गया है। आज ससार के प्राय सभी राष्ट्रो के नेता यही बात कहते हैं कि हमारी आपस की प्रत्येक समस्या का समाधान शातिपूर्वक विचार विनिमय से हो न कि युद्ध से, और इस प्रकार वे अहिसा की आवश्यकता को स्वीकार कर रहे हैं। परन्तु अहिसा के क्षेत्र के सम्बन्ध में सबके विचार भिन्नभिन्न हैं। कुछ व्यक्ति अहिसा का क्षेत्र केवल मनुष्य जाति तक ही सीमित मानते हैं। वे मनुष्य के अतिरिक्त अन्य सब पशु-पक्षियो पर मनमाना अत्याचार करते है। ऐसे व्यक्तियो की धारणा है कि ससार मे जो भी वस्तुए हैं चाहे वे जानदार हैं या बेजान, वे सब मनुष्य के उपयोग और मनोरजन के लिए ही है । अहिसा की रट लगाते हुए भी वे मांस भक्षण करते हैं, पशु-पक्षियो की खालो के और रेशम के वस्त्र धारण करते हैं और मनोरजन के लिए शिकार खेलते हैं। __ कुछ व्यक्ति अहिसा का क्षेत्र केवल अपनी जाति व अपने राष्ट्र तक ही सीमित समझते हैं। दूसरे देश वालो की हत्या करने व दूसरे देशो को नष्ट करने में वे कोई बुराई नही समझते। कुछ देशो के शासक अहिसक होने का दम भरते हैं, परतु वे मासाहार को बढावा देते हैं । कसाईखाने खोलने के लिए करोडो रुपये व्यय करते हैं । भोजन के लिए मुगियो,
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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