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________________ दिखलाई देता है, परन्तु इसमे हिसा नाममात्र को भी नही है । क्योकि चिकित्सक का उद्देश्य रोगी को किसी प्रकार का कष्ट पहुचाना नही था, वरन् उसका उद्देश्य तो रोगी को ठीक करना ही था। ऐसी दशा मे न तो कोई व्यक्ति उस चिकित्सक को दोषी ठहराता है, न उसके प्रति किसी के मन मे कटुता आती है । इसी प्रकार किसी व्यक्ति के फोडा हो रहा है। चिकित्सक उस फोडे को चीरा लगाता है, जिसके कारण उस व्यक्ति को बहुत पीडा होती है, परन्तु चिकित्सक के इस कार्य को हम हिसा नही कह सकते । माता-पिता व गुरु आदि बालक को सही रास्ते पर लाने के लिए दण्ड देते है, इसी प्रकार एक न्यायाधीश एक अपराधी को दण्ड देता है । यद्यपि इस दण्ड के कारण उस बालक को और उस अपराधी को मानसिक व शारीरिक कष्ट पहुँचता है, परन्तु फिर भी माता-पिता व न्यायाधीश हिसक नही है, क्योकि उनके मन मे उस बालक व अपराधी के प्रति कोई दुर्भावना या बदला लेने की भावना नही है, अपितु वे तो उसकी भलाई ही चाहते है । यदि माता-पिता ऐसा नही करे तो वह बालक कुमार्ग पर पड जायेगा । इसी प्रकार यदि न्यायाधीश अपराधियो को दण्ड नही दें तो वे अपराधी और अधिक अपराध करेंगे और समाज व देश मे अराजकता व अशान्ति बढेगी । इसके विपरीत कोई व्यक्ति शस्त्र से हम पर वार करता है । उसका उद्देश्य हमारी हत्या करना अथवा हमे चोट पहुँचाना है । हम उसके वार से घायल हो या न होवह व्यक्ति हिसक है, क्योकि उसका अभिप्राय हमको कष्ट ७६
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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