SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हैं तो अनावश्यक वस्तुएँ खरीदने के बजाय उस धन को दीन-दुखियो की सेवा व उनके अभावो को दूर करने मे लगायें | इससे उनके कष्ट दूर होगे और आप को शान्ति मिलेगी । (८) सिगरेट, सिगार, बीडी, हुक्के आदि का सेवन भी हिंसा है । इनके तम्बाकू से जो विषैला धुआं निकलता है वह इनके सेवन करने वालो के कलेजो को छलनी कर देता है। तम्बाकू मे निकोटिन, कार्बन मोनोक्साइड, अमोनिया, कार्बोलिक एसिड आदि बहुत से विष होते है, जो इनके सेवन करने वालो और उनके पास बैठने वालो तक मे अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न कर देते हैं । इसीलिए पश्चिमी देशो मे सिगरेट की प्रत्येक डिब्बी पर यह शब्द छपे हुए होते है 'यह विष है और इसके सेवन से मृत्यु हो सकती है।' बहुत बार सिगरेट, बीडी, हुक्के से अग्निकाड भी हो जाते हैं, जिनके फलस्वरूप जन-धन की अपार हानि होती है। इसके अतिरिक्त सिगरेट, बीडी का सेवन व्यक्ति के नैतिक पतन की प्रथम सीढी है । सर्व प्रथम किशोर बालक अपने मित्रो के आग्रह पर और अपने बडो की देखा-देखी और फैशन समझ कर सिगरेट, बीडी पीना आरम्भ करते हैं और फिर धीरे-धीरे चरस, गाजा, मदिरा आदि का सेवन भी आरम्भ कर देते हैं । इसलिए एक अहिसक व्यक्ति को इन पदार्थों के सेवन से दूर ही रहना चाहिए। (E) मदिरा और दूसरी नशीली वस्तुओं का सेवन भी हिसा को प्रोत्साहन देता है। नशीली वस्तुओं के सेवन से हमारे धन के साथ-साथ हमारा स्वास्थ्य भी नष्ट होता है । ૬૪
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy