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________________ न्यूनता व आधकता हाता ह वह बादला क कारण सहा होती है। बिल्कुल यही बात किसी भी व्यक्ति के ज्ञान के सम्बन्ध में भी है। भगवान महावीर ने अपने तप, त्याग ध्यान आदि के द्वारा ज्ञान को ढकने वाले कर्म रूपी आकरण को बिल्कुल नष्ट कर दिया था, फलस्वरूप वे सर्वज्ञ हो गये थे। ससार के जीवो के ज्ञान की तुलना हम तलवार की धार से भी कर सकते हैं। तलवार की धार सदैव ही तलवार मे विद्यमान होती है, परन्तु जब तक तलबार को सान पर नहीं चढाया जाता तब तक वह प्रकट नही हो पाती। जब उस तलवार को सान पर चढाया जाता है तो वह धार तीव्र हो जाती है और प्रकट हो जाती है। इसी प्रकार प्रत्येक जीव मे स्वभाव से ही पूर्ण ज्ञान विद्यमान है, परन्तु जब तक वह अपने सम्यक्-प्रयलो से उस ज्ञान को ढकने वाले कर्मों को नष्ट नही कर देता तब तक वह ज्ञान पूर्ण रूप से प्रकट नहीं हो पाता। __ भगवान महावीर के सर्वज्ञ होने का एक और प्रमाण यह है कि भगवान महावीर ने जो सिद्धान्त और तथ्य प्रतिपादित किये थे वे अब विज्ञान द्वारा भी स्वीकृत किये जा रहे हैं। उदाहरणस्वरूप हम यहाँ पर कुछ तथ्य दे (१) भगवान महावीर ने बतलाया था कि पुद्गल (Matter) अनादि और अकृत्रिम है, न तो इसको किसी ने बनाया है और न इसको कोई नष्ट ही कर सकता है, हा, केवल उसका रूप ही बदला जा सकता है। जैसे मिट्टी, पानी, वायु व प्रकाश आदि की सहायता से पेड़ बढते हैं। उनको काटकर उनकी लकड़ी से लकडी का सामान बनामा
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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