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________________ कम हो। यदि हम इतनी आर्थिक हानि उठाने को तैयार नहीं है, तो उस सामान को इस प्रकार सावधानी पूर्वक साफ करना चाहिये, जिससे कि उन जीवो के मरने की सम्भावना कम से कम हो। उस सामान मे से जो जीव निकले उनको ऐसी सुरक्षित जगह रखवा देना चाहिये, जिससे कि वे किसी के पैरो के नीचे नही आ सकें तथा अन्य पशुओ द्वारा न खाये जा सके। _हम पहले भी कह चुके हैं कि ससार मे पूर्ण अहिंसक बन कर रहना असम्भव है। हम तो अपनी ओर से पर्याप्त सावधानी ही रख सकते हैं। सावधानीपूर्वक और दयाभाव से जो कार्य किये जाते हैं उनसे हिंसा का दोष लगता अवश्य है, परन्तु कम लगता है। वास्तव मे तो हम किसी भी जीव को न सुख दे सकते हैं, न दुख। किसी भी जीव को जो भी सुख व दु ख मिलते हैं वे उसके अपने स्वय के ही द्वारा पूर्व मे किये हुए अच्छे व बुरे कर्मों के फल स्वरूप ही मिलते है। हम तो केवल निमित्त मात्र ही होते है। परन्तु हम अपनी अज्ञानता के कारण अपनी भावनाओ के अनुसार ही कर्मों का सचय करते रहते हैं। एक प्रश्न यह उठता है कि क्या अहिमा द्वारा विश्व की समस्याओ का समाधान हो सकेगा? समस्याओ के समाधान की बात तो जाने दीजिये, मै तो यह कहता हूं कि जहा अहिसा का व्यवहार होगा वहा समस्याये होगी ही नहीं। यदि वहा पर किसी वस्तु का अभाव भी होगा तो वहा का प्रत्येक व्यक्ति उस अभाव का कष्ट स्वय सह लेगा, परन्तु अपने कारण किसी अन्य को किसी प्रकार का कष्ट न होने देगा। जहा इस प्रकार की
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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