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________________ कि उस देश के निवासियो में और वहां की सेना में अपने देश पर मर मिटने की भावना है, केवल हिंसा से ही पराधीन नही किया जा सकता। हम विश्व के इतिहास पर दृष्टि डालें तो हमें विदित होगा कि भारत के अतिरिक्त ससार का कोई भी ऐसा देश नही है जहा पर अहिंसा का सिद्धान्त प्रचलित हो, परन्तु फिर भी समय-समय पर वे देश दूसरे देशो के आधीन रहे। अहिसा को न मानते हुए भी वे देश क्यों पराधीन हुए ? अहिसा पर आक्षेप करने वालो के पास इस प्रश्न का कोई उत्तर नही है। उत्तर यही है कि कभी वे आपसी फूट के कारण पराधीन हुए और कभी अपनी विलासिता व कायरता के कारण । उनकी परतन्त्रता में अहिसा कभी भी कारण नहीं बनी। (8) कुछ व्यक्ति यह पूछते हैं कि यदि किसी के घर मे तथा दुकान मे रखे हुए खाद्य पदार्थों मे कोडे पड जायें, कागज मे दीमक लग जाये, तो ऐसी परिस्थिति में वह व्यक्ति क्या करे ? इस सम्बन्ध मे हम पहले भी कह आये हैं। हमारे प्रयत्न तो यही होने चाहिये कि हम साफ-सुथरा थोडाथोडा सामान ही लायें जो थोडे दिन मे ही खत्म हो जाये। इसके साथ-साथ हम उस सामान की पर्याप्त देख-भाल भी रखें, जिससे कि ऐसी परिस्थिति आने की सम्भावना ही न रहे और हम हानि व हिंसा दोनो से बचे रहे। परन्तु फिर भी असावधानीवश अथवा किन्हीं अनिवार्य कारणों से ऐसी परिस्थिति आ भी जाती है, तो हमें उस कागज व खाद्य पदार्थों को मैदान में किसी ऐसी जगह रखवा देना चाहिए, जहा उन कीडो के मरने की सम्भावना कम से
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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