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________________ १८] प्राचीन जैन स्मारक। तथा निकट बहुतसे शिलालेख हैं । इन लेखोंसे तथा हरपनहल्ली ता० के वाघली जिनमन्दिरके लेखोंसे उन सरदारोंका कथन मिलता है जिन्होंने कोगली ५०० पर शासन किया था। सन् ९४४-४५ में यहां राष्ट्रकूट वंशीय राजा कृष्ण तृ० के आधीन चालुक्य वंशी रानाने व ऐसे ही सन् ९५६-५७ में दूसरे राजाने राज्य किया था। जब चालुक्योंने सन् ९७३ में अपना अधिकार जमा लिया तब यहां ९८७ से ९९० तक आर्यवर्मनने व ९९२-९३ में आदित्य वर्मनने राज्य किया। सन् १०१८में चालुक्योंके आधीनपल्लव राजा उदयादित्य उपनाम जगदेक मल्लनोलम्ब पल्लव परमानदीने शासन किया तथा १०६८में चालुक्य सम्राट सोमेश्वर द्वि० के छोटे भाई जयसिंहने राज्य किया । कोगलीके लेख भी बताते हैं कि ग्रामके चेन्न पार्श्वनाथजीके जैन मंदिरको होयसाल वंशीय गना वीर रामनाथने सन् १२७५ और १२७६ में दान किये थे तथा विजयनगरके अच्युतरायने वीरभद्र मंदिरको दान किये थे। (१२) वागली-ता० हरपनहल्ली। यहांसे ४ मील । यहां पश्चिमीय राजा चालुक्य विक्रमादित्य चतुर्थके १२ लेख है जो उसके ४ थे वर्षके राज्यसे लेकर ६५ वर्षतकके हैं। यह सन् १०७६में गद्दीपर बैठा था। इनमें से एक शिलालेख ग्रामके ब्रह्म जिनालय नामके जनमन्दिरके सम्बन्धमें है। ___ (१३) हरपनहल्ली-यहां पुराना किला है जो ध्वंश हैं। दो मंदिर हैं । एक जैनमन्दिर है जहां पूजा होती है। मंदिरके आगे ध्वजास्तंभ है । इस मंदिरको वोगरी वस्ती कहते हैं । इस मंदिर में बहुतसी जैन मूर्तियें हैं। यहां थोड़े जैनी हैं।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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