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________________ २६ ] प्राचीन जैन स्मारक । (२१) वजवादा नगर - यह पहाड़ियोंसे घिरा है। नगरके दक्षिण एक पर्वत है । दो पाषाणकी मूर्तियें पश्चिमी पहाड़ीपर व एक मूर्ति पूर्वीय पहाड़ी पर मिली हैं । ये शायद जैनधर्मकी हैं । खुदाई से मालूम होता है कि यहां पहले बड़ा प्राचीन नगर था । ११ वीं शताब्दीके ४७ लेख मिले हैं । (२२) को किरेनी- नंदिगाम ता० से पश्चिम उत्तर ३६ मील | मुनगल ज़मीदारीसे दक्षिण पश्चिम प्राचीन जैन नगरके स्मारक हैं । (२३) उदुकोंड या उदुकोट - नंदिगाम से पश्चिम ३० मील एक पहाड़ी किला है । पहाड़ पर सरोवर हैं । पानी बहुत बढ़िया है। गांववाले जब पानी लेते हैं तब एक पैसा डाल देते हैं। यहां बहुत गहरी व बड़ी गुफाएं हैं । (२४) पोंडुगोरु - दाचिपल्लीसे उत्तर पश्चिम ७ मील | यहां हैदराबादकी सड़क कृष्णानदीको पार करती है । यहां जैन ध्वंश स्थान है । नदीके निजाम राज्यकी तरफ प्राचीन जैन स्मारक हैं। (२५) नर्स पेली - तालुका । यहां प्राचीन मंदिर हैं। एक शिव मंदिर है जो पहले जैनोंका था । मदरास पुरातत्त्व विभाग द्वारा नीचे लिखे फोटो व चित्र लिए गए हैं (१) नं ० सी ० १ - बेड़ावादेके एक बड़े जैनस्तंभका चित्र । (२) नं० सी० २ - गुडिवाडकी जैनमूर्तिका चित्र | (३) नं० सी० ३ - एक कायोत्सर्ग जैनमूर्तिका फोटो जो dजवाद के म्यूजियम (अजायबघर ) में है ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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