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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [२५ निकली थी जो मदरासके म्यूजियममें हैं। यहां पालीमें ९लेख हैं। (१३) कोट्टपतम्-ओन्गोलीता०-ओनगोली नगरके दक्षिण पूर्व । यह ग्राम कोमटी लोगोंका मूल स्थान है। (१४) उदवल्ली-ता. गंतूर । यहां गुफाएं हैं । (१५) कोंडबिड-ता० नर्सर्वपेट-यहां पहाड़ी किला है । ९॥ मीलकी लम्बी पहाड़ी है। ग्रामके पूर्व सबसे ऊँची चोटी है। इसपर चरणपादुका है। मुसल्मान इसे बाबा आदमके चरण कहते हैं। यहां किलेके एक द्वारपर जैन खुदाई है। यहांपर १२ वीं शताब्दीमें उड़ीसाके राजा गजपति विश्वम्भरने किला बनवाया था। (१६) गोकनकोंड-ता० विनुकोंड । यहांसे उत्तरपूर्व १० मील, गुल्दकम्मा नदीके तटपर । यहां ग्राम और नदीके मध्यमें पहाड़ी है जिसपर प्राचीन मंदिर है व गुफाएँ हैं। (१७) इपुरु-ता० विनुकोंडसे १३मील उत्तर । यहां बहुत खंडित जीर्ण मंदिर हैं व शिलालेख हैं । एक सन् १२७८ का है, खुदाईकी जरूरत है। (१८) पेज्जुचेरुकुरू-ता; बपतलु । यहां बहुतसे शिलालेख हैं। एक तः १२०९ ई०का धरणीकोटके जैन राजा वेत महाराजका है। (१९) तेनाली-ता. रेयल्ली दुग्गिरलके दक्षिण । निजामपतम नहरके ऊपर वसा है । यहांके मंदिरोंमें तीन चार लेख हैं तथा रामलिंगेश्वर के मंदिरमें एक बड़ी मूर्ति बौद्ध या जैनकी है। (२०) रावुलपाडु-सा नंदिगाम। इस मामके दक्षिण पांच लेख हैं । एकमें कोट गुणधर रानाका दान मंदिरको है । यह धरणीकोटके जैन रानाओंमें से एक है।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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