SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२] प्राचीन जैन स्मारक । पुरातत्व-ता. सत्तन पल्लेमें अमरावतीपर बौद्धोंका स्तूप है। यहांके शिलालेखोंसे प्रगट है कि अमरेश्वर मंदिर या तो बौद्धोंका होगा या जैनोंका होगा । इस मंदिरके पास कई टीले हैं जिनमें इन दोनोंके स्मारक होसक्ते हैं। तेजोती तालुके में चंदबोलु एक बहुत प्राचीन स्थान है । एक मंदिर व बौद्धोंका टीला है। यहां सोनेके सिके मिले हैं । बोडस्तूप जग्गर्यपेट और गुडिवाडमें हैं । भट्टिमोतुमें बौद्धोंका सुंदरस्तूप है। यहां एक स्फटिककी पिटारीम एक हड्डीका भाग मिला है। वेनुकोंड तालुकामें बहुतसे शिलालेख मिले हैं। यहांके मुख्य स्थान । (१) गुडिवाड नगर-ता० गुडिवाड । यह बहुत प्राचीन स्थान है, एक ध्वंश बौद्ध स्तूप देखा जाता है । इसके मध्यसे ४ पिटारे मिले थे। पश्चिमकी तरफ एक बहुत सुन्दर जैनमूर्ति है। कुछ और दूर जाकर एक बड़ा टीला है जो नगरका पुराना स्थान है । यहां बड़े २ पत्थर व धातुकी वस्तुएँ व अंध्रोंके सिके मिले हैं। (२) गुंतूपल्ली-ता० एल्लोर-एक ग्राम एल्लोर नगरसे उत्तर २४ मील । पश्चिमकी ओर बहुतसे स्मारक हैं। छोटी पहाड़ियोंके समूहमें बौद्धोंके पत्थरमें कटे मंदिर हैं जो सन् ई० से १०० वर्ष पहलेके होंगे। एक चैत्य गुफामें है जहां अब भी यात्री आते हैं। यहांके लोग कहते हैं कि यहां पहले गुंतपल्लीके स्थान पर एक नगर था जिसको जैनपुरम् कहते थे (नोट- यहां अवश्य खोदेनेसे जैन स्मारक मिलेंगे। (३) जग्गया पेट-ता० नंदिग्राम । यहां पहले वेलबोलु नगर था । बौद्धस्तूप ६६ फुट चौड़ा है।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy