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________________ २० ] प्राचीन जैन स्मारक | (७) गल्लप लंडाम - का कोनडासे दक्षिण पश्चिम ८ मील | आर्यवत्तमकी घाटीमें कुछ जैन स्मारक हैं । ऐसे ही जैनस्मारक काकोनडा तालुका (८) येन्दामुरु और (९) शीलमें हैं तथा पिथापुरम के (१०) जल्लुरु स्थानपर हैं । (११) काजलुरु - रामचन्द्रपुरम्से दक्षिणपूर्व १० मील । यहां सरोवर के कोनेपर दो जैन मूर्तियां हैं । (१२) माचपुरम् - रामचंद्रपुरम्से पश्चिम उत्तर ४ मील | यहां दो प्राचीन जैन मंदिर हैं । (१३) पेंदामुरु-उन्डी से दक्षिण पूर्व ४ मील । यहां चोल राजाका बनाया एक मंदिर है । उसके पूर्व एक जैन मूर्ति है । (8) कृष्णा जिला । यहां ८४९८ वर्ग मील स्थान है । चौहद्दी - पूर्व में बंगाल खाड़ो, पश्चिममें निजम राज्य और जिला कुरनूल, उत्तरमें गोदावरी, दक्षिण में नेल्लोर । इतिहास - यहां के प्राचीन शासक अंधलोग थे उन्होंने अमरावती में एक स्तूप बनवाया है । उनके सिक्के मिलते हैं । उनके पीछे ७ वीं शताब्दी के अनुमान पूर्वीय चालुक्योंने राज्य किया । उनके खुदाए हुए गुफा मंदिर उन्दावल्ली व अन्य स्थानों पर हैं । सन् ९९९ के अनुमान चोल राजाओंने राज्य किया । उनके दो शताब्दी पीछे गजपति वंशने १६ वीं शताब्दी में मुसलमानोंने -अधिकार किया । कृष्णा जिलेके गजटियर (सन् १८८३ ) से विशेष इतिहास यह विदित हुआ है कि यहांके निवासी अधिकतर द्राविड
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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