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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । (Epigraphica of south 1921-22) यहांके फोटो लिये गए हैं नं० ७०४, ७०९, ७०६ ।, (३) जौगढ़-बरहामपुर तालुकामें ऋषिकुल्य नदीके उत्तर गंजम नगरके पश्चिम १८ मील है । यहां एक ध्वंश किला है व एक बड़े नगरके ध्वंश हैं । किलेके मध्यमें अशोकका स्तंभ है इस पर १३ लेख हैं। पुराने मिट्टीके वर्तन और पुरानी ईंटें किलेकी दीवालके भीतर बहुत मिलते हैं। पहली शताब्दीके तांबेके सिके भी मिलते हैं । एक पुराना मंदिर जमीनके नीचेसे गड़ा हुआ मिला है । ऋषिकुल्य नदीके तटपर पुरुषत्तपुर वसा है । यहीं अशोकका पाषाणस्तंभ है। (४) महेन्द्रगिरि-गंजम जिलेमें पूर्वीय घाटीकी एक चोटी। यह ४९२३ फुट ऊंची है । समुद्रसे १६ मील है। इसमें से दो धाराएं निकलती हैं जिनको महेन्द्रतनय कहते हैं। एक धारा दक्षिणकी ओर बहती है और परलाकिमेडी जमीदारीमेसे होकर पंसाधारा नदीसे मिलती है। दूसरी बुदरासिंगी और मंदासा राज्योंमें होकर बुरुवाके पास समुद्रमें गिरती है । इस महेन्द्रगिरिके शिखरपर बड़े २ काले पाषाणोंसे बने हुए चार मंदिर हैं उनमेंसे एक बिजलीसे खंडित हो गया है। इनमें तामील और संस्कृतमें शिलालेख हैं उनसे मालूम होता है कि चोलराजा राजेन्द्रने इस जंगलमें एक विजयस्तंभ अपने साले विमलादित्य (सन् १०१५से १०२२) की विनयमें स्थापित किया। संस्कृत श्लोकके नीचे एक सिंह बना है जो चोलोंका चिह्न था । उसके सामने दो मछलियाँ हैं जो उनके आधीन पांड्य राजाका चिह्न था।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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