SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८ ] प्राचीन जैन स्मारक | भी इस जिलेका बहुत भाग है। उड़ीसा के इस गजपति या सिंह वंशको यायाती केशरीने स्थापित किया था । इन्होंने ६०० वर्ष से अधिक राज्य किया । यह कहा जाता है कि गजपति वंशके सबसे प्रसिद्ध राजा अनंग भीमदेवने ११७२ से १२०२ ई० तक राज्य किया था । इसीने पुरी में जगन्नाथजी का मंदिर बनवाया था । सन् १९७८ के अनुमान गोलकुंडाके कुटलेशाही वंशने गजपतियों को दबा दिया | शिल्पकला - यहां नौगढ़का शिलास्तम्भ है व अनेक प्राचीन मंदिर लेख सहित हैं । इन मंदिरोंमें बहुत प्रसिद्ध श्रीकृर्णमू में वैष्णव मंदिर और मुखलिंग में शिव मंदिर हैं । यहांके प्रसिद्ध स्थान | (१) कलिंगपाटन - यह चिकाकोल तालुका में यहां से १७ मील एक बन्दर है । सन् १९०३ - ४ में यहांसे ६ लाख रुपये का माल बाहर गया था। यह बहुत प्राचीन नगर है। सुवर्णकी मोहरें मिलती हैं । दीर्घसी नदीके उस तरफ प्राचीन शिलालेख हैं जो अभी तक पढ़े नहीं गए हैं । (२) चिकाकोला नगर- यहांकी तंजेवें ढाका तथा अरनीकी तंवों समान प्रसिद्ध थीं । मिलका माल जारी होनेसे यहांके शिल्पको धक्का पहुंचा । चीकाकोल रेलवेस्टेशन जो कटकसे २१२ मील है, यहां निकट सेंलदा ग्राम में संगेश्वर पहाड़ीपर एक गुफा है जिसमें एक कायोत्सर्ग जैन मूर्ति है तथा मंदासा के सरोवर के पास एक विशाल पल्यंकासन जैन तीर्थंकरकी मूर्ति बिराजमान है
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy