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________________ मदरास व मैमूर प्रान्त । Epigraphica Indica.) यहां सहस्रों मंदिरोंमें अनगिनती लेख मिलते हैं। पुरातत्वमें इतिहासके पूर्व व इतिहास समयके अनेक स्मारक हैं । इतिहासके पूर्वके स्मारक मदरासके अजायबघर (Museum) में हैं इसीमें अत्यन्त प्रसिद्ध पदार्थसमूह भी गर्भित है जिसको मि० बेक्स साहबने नीलगिरि पर्वतोंमें पाया था और जिसका सूचीपत्र मि० ब्रूस फूटेने तय्यार किया था। उसके पीछेके कब या समाधिस्थान टिन्नल्लूर जिलेमें आदिचतुल्लुरमें हैं । धार्मिक चित्रकलाके नमूने सबसे प्राचीन बौद्धोंके कृष्णा नदीकी घाटीमें मिले हैं । सबसे प्रसिद्ध वह स्तूप है जो अमरावतीमें पाया गया है। इससे कम प्राचीन पल्लववंशकृत गुफाएं और मकान हैं जिनमें सबसे प्रसिद्ध मात मंदिर (Seven pagodas) हैं जो चिंगेलपुट निलेमें पाए जाते हैं । जैन प्राचीन शिल्पके नमूने दक्षिण कनड़ामें बहुत हैं उनमें सबसे प्रसिद्ध मूडबिद्रीके मंदिर तथा कारकल और येनूरकी विशाल श्रीबाहुबलिस्वामीकी मूर्तिये हैं। हिन्दू शिल्पकला चालुक्योंकी कमी २ बेलारी निलेमें और उड़ीसाकी गंजम मिलेमें पाई जाती हैं । द्राविड़ पद्धतिकी प्रचलित शिल्पकला १६वीं और १७ वीं शताब्दीकी मिलती है। इस कालके मध्यके सबसे प्रसिद्ध मंदिर मदुरा, रामेश्वरम् , तंबोर, कंजीवरम्, श्रीरंगम् , चीदम्बर, तिरुवन्नमलई, वेल्लोर और विजयनगरमें हैं। भाषा-बोलनेवाले सन् १९०१के अनुसार नीचे प्रमाण थे तामील भाषाके-१,५१,८२,९५७ तेलुगू , १,४२,७६,५०९ मलपलम् , २८,६१,२९७ कनड़ी , १५,१८,९७९
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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