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________________ (२०) पाषाणगन्छ गंगवशोत्पत्ति लेख ... २९७ दिहली बादशाहके पूजित आचार्य सिंहनंदिकी सिंहकीर्ति मुनि ३२२ उपाधियां ... ... २९८ सिकन्दरसे पृजित विशालकीर्ति माणूरगणके आचार्य वंश २९९ __मुनि , ता. शिकारपुर ... ३०३ बुद्देशभवन व्याख्यान विद्यानंदिकृत ,, जक्कव्वे श्राविकाका समाधि- सिद्धांतरत्नाकर वृत्ति तत्वार्थमृत्र ३२४ मरण व स्वरचित श्लोक ३०५ ता० तीर्थहली ... ... ... , वीर भाा जक्कममे... ३०७ अरुंगलान्वय मुनियों में... ... ३२५ ता० हानली ... ... ३०९ [८] चितलग जिला ... ३२६ कारगण ... ... " (१) ब्रह्मांगरि ... ... " (२) चीतलग ... , ता. सोराव ... ... ३१० बहुतसे समाधिमरणके लख ३११ (३निग्रेड ... ... , तिनत्रिकगच्छ मुनियोका ... ३१४ (५) सिन्द्रपुर ... ... यहांके शिलालेख ... ता. सागर ... ... ... ३१५ अभिनव समन्तभद्र ... ... ता. मलकालमुरु ... , ता. नगर ... ... ... ३१७ ता. हिदियर ... ... सांतरवंशकी उत्पत्ति ... ,, २७ कुर्ग प्रांत ... ... कुन्दकुन्दाचार्य आकाशगामी ३१८ चंगल्यवंशी 'जन गजा ... पम्पादेवी विदुषी ग्रंथकी ... २१९ कोंगल्ववंशी जैन गजा ... विद्यानंदि व्रतपति ... ... ३२० गवंशी राजा उदयादित्य पाणिनी व्याकरणपर न्यासके व नाम गुणवर्मा कवि, हरिवंश ३२९ का स्वामी पृज्यपाद ३२१ व पुष्पदंत पुराणादिक कर्ता ) जिनराजवाणीके कर्ता माणिक्यनंदि , मदगसके अजायबघरकी ... बायकुमुदचंद्रोदयके कर्मा प्रभाचंद्र ,, नैन मूर्तिये ... ३३१ - -
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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