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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [२३१ दमितामती, किङ्करके नविलूर संघकी । यह किट्टर पुन्नाद राज्यकी राज्यधानी थी। नं० ६८ सन् ९५० पार्श्वनाथावस्ती-बेट्टदेवकी कन्या बैनव्वे; नं० ३६ सन् ९५० तेरीनवस्ती-कुमारनंदी भट्टारककी शिष्या सायिव्वेकुन्तियर । नं० १५६ सन् ११००-ब्रह्मदेव-पोल्लवेकुन्तियर । आगेके साधु व मार्थिका। नं० २६९ सन् १३१६-अखंडवागिलू-त्रैवेद्यदेवके शिष्य पद्मनंदीमुनि । नं. २७४ सन् ? ३७२ अखंडबागिल्लू बलात्कारगणके धर्मभूषण नं० २७३ ,, १४०० ,, शांतिकीर्तिके शिष्य हेमचंद्रकोति शांतिकीर्ति अमितकीर्तिके शिष्य, अनितकीर्तिने भद्रबाहु गुफामें समाधिमरण किया। नं० १२७ (४७) सन् १ ११५-एरदूकट्टेवस्ती-मूलसंधी देशीयषगण पुस्तकगच्छके प्रभाचंद्र त्रैविधदेवका समाधिमरण । नं० ३५१ (१३९) मठ-आर्यिका श्रीमती गंतीने सन् ११ १९ में समाभिमरा किया। उनकी शिष्या मानकब्वे गंतीने स्मारक स्थापित कराया। देवेन्द्रमिहांतीदेवके शिष्य मलधारीदेव व श्रीमती गंती थी। नं० ११७ (४३) चामुंडराय ५०-सन् ११२३में शुभचंद्रका स० मरण । उसके शिप्य गंगराजाने स्मारक बनवाया । ___नं० ६७ (१५४) पार्श्वनाथ वस्ती। अजितसेनके शिष्य मल्लिषेण मलधारीका स० मरण सन् १९२९ में।नं. १४० (५२) गंधवरणवस्ती-मेषचंद्रके शिष्यप्रभाचंद्रकास. मरण सन् ११४५में।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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