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________________ मदरास व मैमूर प्रान्त । [२४३ रूपी चरण धोए गए हैं सो राजा चामुंडराय जयवंत हो । गोम्मट सुत्त लिहणे गोम्मटगयेण जा कया देसी । सो राओ चिरं कालं णामेय व वीर मत्तडी ॥ ९७२ ॥ भावार्थ-गोम्मटसार ग्रन्थके मूत्र लिखनेमें निस गोम्मटराजा द्वारा देशी भाषा की गई सो वीर मार्तडराजा चिरकाल जयवंत हो। चामुण्डरायने राजा मारसिंहके नीचे भी काम किया था । बहुतसे शिलालेखोंमें इनको रायके नामसे लिखा है। (७) लेख नं० ३४५ (१३५) सन् ११५९ भंडार वस्तीमें। कहता है कि राजा मल्लक मंत्री राय जैन धर्मका बढ़ानेवाला हुआ। विष्णुवईनके मंत्री गंगराना व उसके पीछे नारसिंह प्रथमके मंत्री हुल्लाने भी इसी भांति धर्मवृद्धि की। (८) लेख नं० ७३ (५४) सन् १.११८ शासन वस्ती । (९) ,, ,, १२५ (४५) ,, ,, बड़े पर्वतपर ब्रह्म देव व मंडपके पश्चिम । (१०) ,, ,, २५१ सन् १११८ ॥ (११),, ,, ३९७ ,, ११७९ सानेनवस्ती हल्लीग्राम । ये चारों लेख बताते हैं कि गंगराजा प्रसिद्ध चामुण्डरायसे १०० गुणा अधिक पुण्यवान ५ प्रसिद्ध था। (१२) नं० १५४ सन् १००० चंद्रगिरिपर ब्रह्मदेव मंदिरपर । इसमें यात्री सुभ करय्याका नाम है जो राजाराचमल्ल द्वि०का मुनीम ( Accountant ) था। (१३) नं० १२१ (६७) ता० ९९५ जो चामुण्डराय वस्ती में पार्श्वनाथजीके आसनपर है कि चामुण्डरायके
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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