SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 275
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मदरास व मैसूर प्रान्त | [ २४१ (६) समर परशराम - जब इसने मुद्राचय या चलदंगगंग या गंग भट्टको संहार किया - जिसने चामुण्डके छोटे भाई नागवमका वध किया था । (७) सत्य युद्धिष्ठिर - यह चामुण्डराय बड़ा सत्यवादी थी । कभी हंसी में भी झूठ नहीं बोलता था । यह बड़ा साहित्य प्रेमी था । इसने कड़ी में चामुण्डराय पुराण सन् ९७८ में लिखा- उसकी प्रशस्ति में लिखा है कि इसका स्वामी जगदेकवीर हैं व गुरु श्री अजितमेन मुनि हैं । (सं० नोट - यह बात प्रसिद्ध है कि इसने संस्कृत चारित्रसार जैन ग्रंथ व श्रीगोमटसारकी कर्नाटकी भाषा में टीका लिखी इसीके ऊपरसे केशववर्णीने उसकी संस्कृतवृत्ति लिखी । चामुण्डरावने देशी याने कर्णाटकी भाषा में गोमटसारकी टीका लिखी, यह बात गोमटसार कर्मकांडकी नीचे लिखी गाथाओंसे प्रगट है । राजा चामुण्डराय के प्रश्नके वशसे ही श्रीनेमिनाथ सिद्धांत चक्रवतीने गोमटसार ग्रन्थ लिखा था--- जां गुणा विस्संता गणहरदेवादि इड्डि पत्ताणं । सो अजियसेग गाहो जस्सगुरु जयउ सो राओ ॥ ९६८ ॥ भावार्थ - जिनके भीतर गणधर देवादि ऋद्धि प्राप्त मुनियोंके समान गुण वसते हैं ऐसे श्रीअजित सेननाथ जिसके गुरु हैं वह राजा जयवंत हो सिद्धंतु दय तदुग्गय णिम्मल वरणेमिचन्दकरकलिया । गुण रयण भ्रमणं हिमइ वेला मरउ भुवणयलं । ९६७ ॥ भावार्थ - जिसकी बुद्धि रूपी वेला या तरंग सिद्धांत रूपी उदयाचल पर्वत से उदय प्राप्त निर्मल नेमिचन्द्र आचार्य रूपी चंद्र १६
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy