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________________ मदरास व मैमूर प्रान्त। [२११ इसके द्वारपर शासनका लेख नं० ७३ (प्रा० नं. ५९) है-यह मंदिर ५५ से २६ फुट है। इसमें श्री आदिनाथनीकी मूर्ति चमरेन्द्र सहित ५ फुट ऊंची है । आसनपर लेख है नं०७४ (६५) कि इस मंदिरको सेनापति गंगराजाने बनवाया । द्वार परका लेख प्रगट करता है कि गंगरानाने सन् १११८में परमग्राम भेट किया जो उसने महाराज विष्णुवईनसे प्राप्त किया था। यह मंदिर १११७के करीब बना होगा। (९) मज्जिगन्ने वस्ती-यह ३२ से १९ फुट है। इसमें श्री अनन्तनाथ भगवानकी मूर्ति ३॥ फुट ऊंची है । (१०) एरडुकट्टेवस्ती-इसका नाम इस कारण पड़ा है कि इसमें जानेके लिये पूर्व और पश्चिममें दो सीढ़िया हैं-यह ५५ से २६ फुट है । श्री आदिनाथकी मूर्ति ५ फुट ऊंची चमरेन्द्र सहित है-आसनपर लेख नं० १३० (६३) है कि इस मंदिरको करीब १११ ८ के सेनापति गंग राजाकी भार्या लक्ष्मीने बनवाया था। (११) सवती गंधवरण वस्ती-इसका नाम एक उन्मत्त हाथीके नामसे पड़ा है जो शातल देवीका था । यह ६९ से ३५ फुट है । प्रतिमा श्री शांतिनाथनीकी ५ फुट ऊंची चमरेन्द्र सहित है। द्वारपरके लेख नं. १३२ (५६) व श्री शांतिनाथके आसन परके लेख नं० १३१ (६२) से प्रगट है कि इसे सन् ११२३में महाराज विष्णुवर्द्धनकी महारानी शांतलदेवीने बनवाया था । (१२) टेरिन वस्ती-इसलिये कहलाती है कि इसके सामने गाड़ीके समान रचना है । इसको बाहूबलि वस्ती भी कहते हैं । यह ७०से २६ फुट है। इसमें श्री बाहुबलि स्वामीकी कायोत्सर्ग
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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