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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [१८९ चाहिये जब कि आज २४५२ माना जाता है । इसमें १३७ वर्षका अंतर क्यों है इस बातकी परीक्षाकी जरूरत है। मालूम होता है मदरासकी तरफके विद्वान् ऐसा ही समझते हैं क्योंकि दीपनगुडी (४) के शिलालेख में भी २५३८ दिया है इससे भी १३७ तंजोर जिले ( नं ० १६ ) के शाका १७९७ में वीर सं० वर्षका अंतर हैं । (१२) नं० १५६ सन १६३० ई० ? इसी पर्वतपर श्री पार्श्वनाथ वस्तीके हाते में पूर्व द्वारके भाग में जिन मुनिकी मूर्ति स्थापित की । (१३) नं० १५७ ता० १३८० ई० ? इसी पर्वतपर इसी हाते में दक्षिण ओर । इस लेखने मूलसंघ दे० कुंद० पुस्तकगच्छके स्वामी श्रीबाहुबलि पंडितदेवका नाम है । यह नयकीर्तिव्रतीके शिष्य थे । तथा विद्या के सम्राट थे, उभय भाषाके कवि थे, ज्योतिषी थे व त्रिनेत्र प्रसिद्ध थे । (१४) नं० १९८ ता० ११८९ ई० ऊपर पर्वतपर इसी "हातेके छप्पर के मंडप में एक पाषाणपर श्री अच्युत राजेन्द्रका पुत्र श्री अच्युतवीरेन्द्र शिष्य था जो श्री विद्यानन्द मुनिका शिष्य व वैद्यक में प्रवीण था । उसकी स्त्री चिक्कताईने इस कनकाचलपर श्री पार्श्वनाथस्वामीकी ९ पर्बियोंपर पूजा के लिये व मुनि आदिको सदा ज्ञान दान होनेके लिये किन्नरीपुर भेट किया । (१५) नं० १६१ ता० १९८८ ई० इसी पर्वत पर मुनि चंद्रकीनिषीधिकाका पाषाण मूलसंघ कालोग्रगणके मुनि चंद्रदेवका स्मारक - चरणचिह्न उनके शिष्य आदिदासने अंकित किये ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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