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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [ १८५ गत पंच महाशब्द त्रिभुवनमल्ल, वीरगंग, जगदेकमल्ल, होसालदेव राज्य करते थे । महाराजने कारेया के वारंद एरबगोविंदके पुत्र परमादी गोविंदपर कृपा करके शत्रुसे युद्ध करनेकी आज्ञा दी । वह युद्ध करके स्वर्ग गया । एपिग्रेफिका नं. 8 में भी मैसूर जिलेके शिलालेख हैं । L वे सब लेख नीचे प्रकार राजवंशोंके हैं- (१) कादम्बवंशके (२) गंगवंश के (३) राष्ट्रकूट वंशका (४) चालुक्यका (५) चोलवंशके (६) चंगोलववंश के (७) होयसालवंशके (८) विजयवाद के (९) उन्मत्तर राज्यके (१०) काटे राज्यके (१२) नंदियले (१२) हृदिनाद, (१३) मैसूर (१४) कलाले 39 " 99 ११ सन् ४२ "9 १ सन १ २९ ४८ २१२ २९८ १३ १२ ९.८ ७० "" ४५० से १९३८ तक से १००९ " ७०० ७८० ९९७ १११० से १११५ १०६० से १६४० १०६८ से १३४५ १३४४ से १६६८ १४७८ से १५७३ १४८९ से १६५४ १५३० से १५५३ १९५० से १६६७ १६१२ से १८७८ १७४१ से १७६७ ८७९) कुल नोचे लिखे शिलालेख जैनधर्म संबंधी जानने योग्य हैं । ता० चामराजनगर ( १ ) - नं ० ५१ ग्राम मंगलमें जोती कलकलके पास चट्टानपर | श्रीकुंदकुंदा • भट्टारक.... आचार्यके शिष्य
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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