SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 203
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मदरास व मैमूर प्रान्त । [९६९ नरसिंहदेवके राज्यमें उनके नीचे एरयंग दंडनायक थे। उनके नीचे एरयंगका जमाई ईश्वर चामूपति (सेनापति) था इसने एक जिनालय का जीर्णोद्धार कराया। इसकी स्त्री माचिधक्काने जैनमंदिर बनवाए व एक सरोवर पद्मावतीगिरि नामका बनवाया तथा वस्तीके लिये दान किया । (२) तालुका गुब्बी-नं० ५ सन् १२०० ई० नित्तर प्राममें श्री आदीश्वर जैनमंदिरके उत्तर भीत पर एक पापागमें लल। यह मालवे और उसकी साली चौडयव्वेके समाधिमरणका ले । यह मालिव्वे श्रीमूलसंघ कुंद० देशीयगण पुस्तकमा के बन्द्र सिद्धांतचन्द्रके शिष्य श्री बालचन्द्र १२०० ई० । इसी ऊपर लिखित पाषाणकी बाई तरफ । माललनेके जवामी सेठीकी स्त्री बृचव्वेका समाधिमरण। ) नं० २०० ई० । इसी ऊपरके पाषाणकी दाहनी तरफ । नसेटी और उसके पुत्र मालप्पाने समाधिमरण किया । ५) नं. ८ ता० १२१९ ई०। ऊपरकी वस्तीकी पश्चिम भीतपर एक पाषाण मूलमंधी कुन्द० देशीगण पुस्तकगच्छके श्रीपद्ममम मलधारीदरके शिष्य मालव से?केव्बेके पुत्र मल्लिसेठीने समाधिमरण किया । सं० नोट-यह वहीं पद्मप्रभ मलधारीदेव हो सक्ते हैं जिन्होंने श्रीकुंदकुंदाचार्य कृत श्रीनियमसार प्रास्त ग्रन्थकी संस्कृतमें वृत्ति लिखी है। इस चैत्यालयकी बाहरी भीतपर बहुतसी जैन मूर्तियां अंकित हैं।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy