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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त। [१४५ ____Mysore (Vol. I. Rice ) नामकी पुस्तकसे विशेष इतिहास यह प्रगट हुआ कि चंद्रगुप्त मौर्य जैन था। यह बात मेगस्थनीनके कथनसे भी सिद्ध है जिसने इसको श्रमणका नाम दिया है। चंद्रगुप्तने सन् ई० से पहले ३१६ से २९२ तक राज्य किया था फिर उसके पुत्र विन्दुसारने २६४ ई० पूर्वतक, फिर उसके पुत्र अशोकने २२३ ई० पूर्व तक ४१ वर्ष राज्य किया था। अशोकका एक शिलालेख २५८ वर्ष पूर्वका मलकत मरु तालुकेसे मिला है । महाराजा अशोक पहले जैन थे यह बात उनके लेखोंसे प्रकट है तथा अकबरके मंत्री अबुलफनल लिखित आईने अकबरीसे सिद्ध है कि महाराज अशोकने काश्मीरमें जैन धर्मका प्रचार किया। यह बात राजतरंगिणीसे भी सिद्ध है कि अशोक यहां जैन शासनको लाया था। मैमूरके जो लेख हैं उनमें देवानाम् प्रिय यह उपाधि महाराजा अशोकको दी है। शतवाहन या शालिवाहन वंशके राज्यके पीछे यहां कादम्ब वंशने राज्य किया। इनके वंशकी १६ पीढ़ी तीसरीसे छठी शताब्दी तक मिलती हैं। इनका एक लेख प्राकृतमें जिसमें सलाकरणी द्वारा दान है व दूसरा संस्कृतमें गुफाओंके भीतर महीन अक्षरों में नुदे मिले हैं। दूसरे सब लेख बड़े अक्षरों में संस्कतमें हैं जिनमें कई बहुत सुन्दर हैं। इनमें बहुतसे लेखोंमें जैनोंको दानका लेख है बहुत थोड़ोंमें ब्राह्मणोंको दान है । (Many of those grants are to Jains, but a few are to Brahmans.) ० नोट-इसीसे सिद्ध है कि कादम्बवंशी राजा अधिकतर जैनधर्मी थे।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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