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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त । [ ११३ (९) किदारम - रामनद से दक्षिण पश्चिम १४ मील । ग्रामके दक्षिण १०० गजपर जैन मूर्तियां हैं । (१०) कुलशेषर नल्लूर - तिरुचुकईसे पश्चिम दक्षिण मील | यहां जो शिव मंदिर है यह मूलमें जैन मंदिर था । (११) हनुमंत गुड़ी - रामनदसे उत्तर ३७॥ मील | यहां प्राचीन जैन मंदिर है । (१२) सेलुवजूर - रामनद से पश्चिम दक्षिण २३ मील व मुदकलत्तूसे दक्षिण पूर्व ९ || मील | यहां जैनमूर्ति है । सन १९०९-१० की आरकिलनिकल रिपोर्ट इंडिया में १३१ कि इस वर्ष जो लेख नकल किए गए हैं उनसे जैनधर्म और उसके आकार बहुत प्रकाश पड़ता है । दक्षिण भारत में जैन स्मारक कोगरलियंगुल और मुत्तंप्पत्तीने पाए गए हैं जहां गुफाएँ हैं तथा मदुरा जिलेके दो दूसरे ग्रामोंमें भी गुफाएं हैं। इनमें एक सममें बह पाने लेख हैं जिनमें कई जनाचार्य के नम है। उनसे १ नंदे हैं मनका नाम और भी लेखों में आता है। माता गुणमदार श्री.नादके कुरुन्दी अता, उपवासी महक और उनके गुसेन और माघनंदी है। गुणमेनके शिष्य कन: वीर पेरियादिल थे। कनकनंदी भट्टारकके शिष्य परिमंडल भट्टारक, जिनके शिन अभिनंदन भट्टारक थे। ये सब नाम इन लेखों में हैं। कलुगुमलाई (जिला तिनेवली ) के भी लेखों को लेनेसे जन जतिका मूल्यवान इतिहास सोपा जासक्ता है । मदराम एपिग्राफी दफ्तर में यहां के नक्शे नीचे प्रमाण हैं( १ ) नं० सी० २१ तिरुपरनकुंदरम् के जैन मंदिरका
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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