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________________ १०४] प्राचीन जैन स्मारक । __(११) सुन्दक्की पारई-कुलितलाईसे दक्षिण तीन मील । एक चट्टानपर जैन मूर्ति खुदी है। (१२) वेल्टुवात्तलई-कुलित्तलाईसे दक्षिण ६ मील । यहां तीन जैन मूर्तिये हैं। मदरास एफिग्राफी दफ्तरमें चित्रादि-नं० सी ३२वेल्लनोरके खेतमें एक जैन मूर्तिका नकशा है । (१८) पुडुक्काई राज्य । यहां ११७८ वर्गमील स्थान है । उत्तर पश्चिम त्रिचिनापली है, दक्षिण मदुरा है । पश्चिममें तंजोर है। पुरातत्त्व-यहां बहुतसे Kestvaens समाधिस्थान पाए गए हैं । जैनियोंके बहुतसे स्मारक हैं। उनको बहुतसी गुफाएं व मूर्ति मिलती हैं। पुडुक्कोट्टईसे उत्तर पश्चिम १० मील सित्तबवासलके पास पर्वतमें कटी गुफा जैनियोंकी है । कुम्भकोनम व कोचीनके जैन लोग दर्शनके लिये आते हैं। विरालीमलईके पास कोदम्बलरका नाम तामील काव्य पहली शताब्दीकी बनी शीलप्पदी कारम्में आता है। अब यह छोटासा ग्राम उरैयरसे मदुरा जानेवाली सड़कपर है । पुरानी तामील काव्योंमें विरालीमलई व तिरुमयनका नाम भी आता है। यहां शिलालेख बहुत मिले हैं। मुख्य स्थान । (२) कुदुमिया मलाई-पुडुक्कोट्टईसे पश्चिम ११ मील एक छोटे पहाड़में खुदा मंदिर मूलमें जैनियोंका है, प्राचीन लेख है। ( Sec govt. Epigraphy report 1899.)
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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