SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 137
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मदरास व मैसर प्रान्त । [१०३ (३) तिरुवेरुम्बूर-त्रिचिनापलीसे उत्तर पूर्व ६ मील १ पहाड़ी पर एक शिवमंदिर है जिसमें अच्छी नक्काशी है। यह मूलमें जैन मंदिर मालूम होता है। (४) जयनकुन्द चोलकुरम्-ता० उदइयार पालइयम । यहांसे उत्तर पूर्व ५ मील । यहां दो जैन मूर्तिये हैं । एक गली में व एक सरोवरके तटपर है। लोग इनको पालुप्पर और समनार कहते हैं। पहली मूर्ति बहुत बड़ी व बहुत सुन्दर है । लोग ग्रामदेवता करके नते हैं | कुछ कूप जैनियोंके बनाए हुए हैं। (८) श्रीरंगम्-त्रिचिनापलो नगरसे उत्तर पश्चिम दो मील। यहां वैष्णवोंका मंदिर है । यही १२वीं शताब्दीमें रामानुजाचार्य रहते थे। उनकी मृत्यु यहीं हुई है । यहां एक जैन मूर्ति है । (6) पेरियम चोलयम-तालूका पेरम्वलरसे उत्तर १४ मील ग्रामके पास बड़ी सड़कके निकट एक जैन मूर्ति गड़ी है जिनका मस्तक और कंधा दिखता है । ___ (७) वालीकुंदपुरम-पेरम्बलूरसे उत्तर पूर्व ७ मील-यहां कुछ जैन प्राचीन ध्वंश स्थान हैं । एक शिषर है। (८) अम्बिपुरम्-या विक्रमम् ता. उदइयार पालइयम । यहांसे दक्षिण पूर्व ११ मील कुछ जैन स्मारक हैं। (९) वाउनौर-किरप्पनौरसे दक्षिण दो मील व उदहयार पालइयमसे पश्चिम दक्षिण १९ मील । यहां एक जैन मूर्ति है । (१०) लालुगुडी-त्रिचिनापलीसे उत्तर पूर्व ३ मील । मुल्लम्बदीको जानेवाली सड़कके निकट खेतमें एक प्राचीन जैन मूर्ति है।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy