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________________ ७८ ] प्राचीन जैन स्मारक | रहती थी। यहाँ हिन्दुओं के मंदिरोंके स्मारक हैं व कुछ लेख कोवि-लनूरपर है जो पत्र कूडसे कोमटिपूर के मार्ग में है । तालुका वाला जावेत । (२०) पेरून गिंजी - यह प्राचीनकालमें जैनियोंका मुख्य स्थान था । सरोवर के पास व बड़े वृक्षके नीचे जैन मूर्तियां दिखलाई पड़ती हैं। (२१) महेन्द्रवाड़ी - यह सरोवर सहित ग्राम है। किसी समय यह एक बड़ा नगर था । किले की भीतें दिखती हैं। घेरेके भीतर एक छोटा मंदिर खोदा गया है यह जैनियोंका मालूम होता है । इसपर लेख है जो पढ़ा नहीं गया । बंडीवाश तालुका | (२२) तेल्लार - टिंडीवनमूको जाते हुए सड़क के ऊपर एक ग्राम है। यहां देसूरके समान जैनियों के पूजाका स्थान है । (२३) तेरुक्काल- बंदिवाशसे पश्चिम दक्षिण ८ || मील | यहां पर्वतके ऊपर तीन जैन मंदिर हैं व तीन गुफाएं हैं, बहुतसी जैन मूर्तिये हैं व तामीलमें लेख है कि चोलराजा परकेशरी वर्मन के तीसरे वर्ष राज्यमें नलवेलई निवासी नंदो अर्थात् नरतुंगपल्लव रायनने पोन्नेरनादमें तंदपुरम्की जैन वस्तीके लिये घीके वास्ते एक भेड़ भेट की । (२४) देमूर - दिवाशसे दक्षिण पश्चिम १० मील। यहां जैन मंदिर है व जैन रहते हैं । (२५) वैनकुनूरम् - चंदिवाशसे उत्तर ३ मील। यहां जैन मंदिर है । (२६) पोन्नूर पहाड़ी -बंदीवाशसे ६ मील एक छोटी पहाड़ी। इसकी यात्रा हमने सी० एस० मल्लिनाथजी के साथ ता० १९ मार्च
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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