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________________ ___७६] प्राचीन जैन स्मारक । ___ नं०६९-द्वारके पूर्व तिरुमलईके नीचे मंडपकी भीतपर कौमारवर्मन त्रिभुवन चक्रवर्ती वीर पांड्यदेवके १० वें वर्षके राज्यमें 'पांडप्पा मंगलम्के स्वामी अम्बलपेरूमलया शीनत्त रैयनने पर्वतके निकट एक आड मुदगिरि सरोवरके लिये बनवाई। नं. ७०-पहाडीके नीचे द्वारके दाहनी तरफ मंडपकी भीतपर राजनारायण संवुवराजके १०३ वर्षके राज्यमें पोनूर निवासी मन्नई पीन्ननुईकी कन्या नल्लात्तालने वैगइतिरुमलईपर जैन मूर्ति स्थापित की तथा पवित्र विहार नायनार-पन्नेयिलनाथके नामका बनवाया । ___नं० ७१-ऊपरके स्थानपर-अरुलमोरी देवरपुरम्के इडहयरन अप्पनके ज्येष्ठ पुत्र व भाइयोंने एक कूप बनवाया । नं. ७२-उपरके मंडपकी दक्षिण भीतपर शाका १२९६में वीर कम्वन ओडइयरके पोते व कम्वन ओडइयरके पुत्र ओम्मन ओडइयरके राज्यमें विष्णुकम्बली नायकने अपने खर्चसे भूमि दान दी। नं०७३-चित्रित गुफाके नीचे छोटे मंदिरमें राजा कृष्णराजके राज्यमें तिरुमलईके आचार्य परवादीमल्लके शिप्य कउइककोन्तूरके अरिष्टनेमी आचार्यकी आज्ञासे यक्षीकी स्थापना हुई। ___ नं०७४-चित्रितगुफाको जानेवाले द्वारकी बाहरी भीतपर त्रिभुवन चक्रवर्ती राजराजदेवके १० वें वर्षके राज्यमें शाका ११५७-५८ में राज गम्भीर संवृ व रायन अट्टी मल्लान व संबूकुल पेरुमल उपाधिधारीने रानगंभीर नल्लूर ग्राम, ईरालपेरूमनके पुत्र अन्दंगलगल रापरको दिया । नं७५-ऊपरके स्थानपर-कैरलके यवनिकाके कुलमें प्रसिद्ध राजराजके पुत्र चीरांवंशी व्याप्रक्तश्रवणोज्वलने, जिसकी राज्यधानी
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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