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________________ ६८ ] प्राचीन जैन स्मारक । नोट - नैनार शब्दके अर्थ पापरहित हैं। कहते हैं जब हिन्दू लोगोंने तंग किया तब कुछ नॅनारोंने अपना बाहरी नाम राय, चेट्टी आदि रखा। पुरातत्त्व - यहां बहुत से समाधिस्थान है ( Kistvaens ) प्रसिद्ध समूह पलमानेर तालुकाके वापनत्तन ग्राममें हैं । ये प्राचीन I कुरुम्बोंकी कारीगरी है । पदवेदु नामका ध्वंश नगर उनकी राज्यधानी थी । प्राचीन जैनियों द्वारा स्थापित मूर्तियें चट्टानोंपर नीचे लिखे स्थानों पर पाई जाती हैं: (१) तालुका अर्काटमें पंच पांडवमलईपर (२) भामन्यूरपर तिरुबत्तूरपर (३) 99 (8) पोलूर में तिरुमलईपर (9) चित्तूर में बल्लिमलईपर "" "" 99 "" "" शिलालेख बहुत मिलते हैं जिनमें से बहुतसे अभीतक नहीं गए हैं । सबसे बढ़िया जैन मंदिर अरुन्गुलम् में है । यहांके मुख्य स्थान | (१) वापनत्तन - ता० पालमनेर - यहांसे १७ मील । इतिहासके पूर्व के समाधिस्थान ( Kietvaens ) हैं इनको पांच पांडवों के मंदिर कहते हैं | (Indian Antiquary Vol. 10) अर्काट तालुका स्थान ! यहां १०६६ जैन हैं । (१) तिरुवत्तूर - यह प्राचीनकाल में जैनियोंके मुख्य नगरों में से एक नगर था । यहां जो मंदिर हैं वे मूलमें इन जैनियों के होंगे । जैनियों को बहुत कष्ट दिया गया था । इस ग्राममें प्राचीन जैन मंदि
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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