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________________ 230 उन्होंने गुरु की वन्दना की है । प्रानंदतिलक भी गुरु को जिनवर, सिद्ध, शिव और स्व-पर का भेद दर्शाने वाला मानते है । जैन साधकों के ही समान कबीर ने भी गुरु को ब्रह्म (गोविन्द) से भी श्रेष्ठ माना है । उसी की कृपा से गोविन्द के दर्शन संभव हैं। रागादिक विकारों को दूर कर श्रात्मा ज्ञान से तभी प्रकाशित होती है जब गुरु की प्राप्ति हो जाती है ।" उनका उपदेश संशयहारक और पथप्रदर्शक रहता है | गुरु के अनुग्रह एवं कृपा दृष्टि से शिष्य का जीवन सफल हो जाता है । सद्गुरु स्वर्णकार की भाति शिष्य के मन से दोष भौर दुर्गुणों को दूर कर उसे तप्त स्वर्ण की भांति खरा और निर्मल बना देता है ।4 सूफी कवि जायसी के मन में पीर (गुरु) के प्रति श्रद्धा दृष्टव्य है । वह उनका प्रेम का दीपक है। हीरामन तोता स्वयं गुरु रूप है और ससार को उसने शिष्य बना लिया है ।" उनका बिश्वास है कि गुरु साधक हृदय मे विरह की चिनगारी प्रक्षिप्त कर साधक शिष्य गुरु की दी हुई उस वस्तु को सुलगा देता है । जायसी के भावमूलक रहस्यवाद का प्राणभूततत्त्व प्रेम है और यह प्रेम पीर की महान देन है । पद्मावत के स्तुतिखड में उन्होंने लिखा है- देता है और सच्चा सूर की गोपिया तो बिना गुरु के योग मथुरा ले जाने के लिए कहती है जहा जाकर 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. "संयद असरफ पीर पिराया । जहि मोहि पथ दीन्ह उजियारा | लेसा हिए प्रेम कर दीया । उठी जौति भा निरमल हीया ।" 8. 9. सीख ही नही सकी । वे उद्धव से गुरु श्याम से योग का पाठ ग्रहरण गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागू पाय । बलिहारी गुरु प्रापकी जिन्ह गोविन्द दियो दिखाय || संत वाणी संग्रह, भाग- 1. पृ. 2. बलिहारी गुरु प्रापणों द्यो हाड़ो के बार । जिनि मानिष ते देवता करत न लागी बार || कबीर ग्रन्थावली, पृ. 1. ससं खाया सकल जग, ससा किनहूं न खद्ध, वही, वही, पृ. 4. जायसी ग्रन्थमाला, पृ. 7. g. 2-3. गुरु सुझा जेइ पंथ देखावा । बिनु गुरु जगत को निरगुन पावा || पद्मावत. गुरु होइ प्राप, कीन्ह उचेला, जायसी ग्रन्थावली, पृ. 33. गुरु विरह चिनगी जो मेला । जो सुलगाइ लेइ सो भेला ॥। वही, पृ. 51. जायसी ग्रंथावली, स्तुतिखण्ड, पृ. 7.
SR No.010130
Book TitleMadhyakalin Hindi Jain Sahitya me Rahasya Bhavna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpalata Jain
PublisherSanmati Vidyapith Nagpur
Publication Year1984
Total Pages346
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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