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________________ (१४) दानं प्रियवाक्सहितं ज्ञानमगर्व क्षमान्वितं शौर्यम् । त्यागसहितं च वित्तं दुर्लभमेतचतुर्भद्रम् ॥ २७ ॥ उत्तर-(दानं प्रियवाक्सहितं ज्ञानमगर्व क्षमान्वितं शौर्यम् । त्याग माहितं च वित्तं दुर्लभमेतच्चतुर्भद्रम् ) मीठ वचनासहित दान. गर्वहित ज्ञान क्षमासहितशूरता और दानमहित धन य चार भद्र ( कल्याण ) अतिशय दुर्लभ है ।। २७॥ उपसंहार । इति कण्टगता विमला प्रश्नोत्तररत्नमालिका येषां । ते मुक्ताभरणा अपि विभान्ति विद्वत्ममाजेषु ।। २८ ।। अर्थात जिन पुरुषाके कटमें यह निमल प्रश्नानरूपी रत्नाकी माला रहती है वे मुक्ताभग्ण ( आभग्णरहिन । होनेपर भी अथवा मोतीयांक आभग्ण धारण किये रहनपर भी विद्वानांकी मभाम शाभाको प्राप्त होते है ।। २८ ॥ विवेकात्यक्तराज्येन राज्ञयं रत्नमालिका।
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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