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________________ बनारसीविलासः सत्यशील रोकवेको पौढ़ परदार जैसे; दुर्गतिके मारग चलायकों धोरी हैं ।। कुमतिके अधिकारी कुनैपथके बिहारी; भद्रभाव ईंधन जरायकों होरी है । मृपाके सहाई दुरभावना के भाई ऐसे; विषयाभिलाषी जीव अघके अघोरी हैं ॥ ७२ ॥ कमलाधिकार | निम्नं गच्छति निम्नगेव नितरां निद्वेव विष्कम्भते चैतन्यं मदिरेव पुष्यति मदं धूम्येव धत्तेऽन्धताम् । चापल्यं चपलेव चुम्बति दवज्वालेव तृष्णां नय त्युल्लासं कुलटाङ्गनेव कमला स्वैरं परिभ्राम्यति ॥७३॥ ३७ मतगयन्द | नीचकी ओर और सरिता जिम, घूम बढ़ावत नींदकी नाई । चंचलता प्रघटै चपला जिम, अंध करें जिम धूमकी झाई || तेज करे तिसना व ज्यों भदः ज्यों मद पोषित मूढके तांई । ये करतूति करै कमला जग; डोलत ज्यों कुलटा विन सांई ॥ दायादाः स्पृहयन्ति तस्करगणा मुष्णन्ति भूमीभुजो गृह्णन्ति च्छलमाकलय्य हुतभुग्भस्मीकरोति क्षणात् । अम्भ: प्लावयते क्षितौ विनिहितं यक्षा हरन्ते हठा दुर्वृत्तास्तनया नयन्ति निधनं धिग्बह्वधीनं धनम् ७४
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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