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________________ र्तिको स्थित रखनेके लिए बड़ा भारी परिश्रम करना पड़ा है और वे आधी २ राततक दीपक जलाकर पढ़ते और सोचते रहे हैं और स्वयंसिद्ध तो इनमेंसे एक ही आध निकलेंगे। ___ और लो! परिश्रम करनेसे मनुष्य आलसी और निकम्मा नहीं रहता और अपनी शक्तियोंको वृथा नहीं गंवाता, अर्थात् परिश्रम आलस्यका नाश करनेवाला है । बाल्य और तरुण अवस्थामें हमारी शक्तियां अति प्रबल होती हैं और यदि इनको किसी उपयोगी कार्यमें न लगाया जाए तो ये हमें बुरे कामोंकी ओर ले जाएंगी। अंगरेज़ी भाषामें एक कहादत प्रसिद्ध है जिसका अर्थ यह है कि निकम्मा और आलसी पुरुष वा स्त्री भूत पिशाच को अपनी ओर लुभा लेती है, अर्थात् ठाली बैटेको बुराइयां ही बुराइयां सूझती रहतो हैं । ४. चौथी बात परम्पर एकता और प्रेम है । तुममें परस्पर प्यार और प्रीति होनी चाहिये । बहुधा छोटी २ बातोंपर लड़ाई भिड़ाई हो जाती है; तुम्हें चाहिये कि इस उत्तम नियमपर चलो, " तुम औरोंके साथ इसी प्रकार वर्तो, जैसा कि तुम चाहते हो कि और लोग तुम्हारी साथ बर्ते" । तुम्हें एक दूसरेके भावोंका ध्यान रखना चाहिये, और किसीका वृथा जी नहीं दुखाना चाहिये । तुम्हारी एकताकी नीव सच्चे और धार्मिक नियमोंपर होनी चाहिये, क्योंकि जो एकता अधर्मपर आश्रित होती है उसकी जड़ बोदी होती है और वह चाहे जब टूट जाती है । और यह अधर्मसम्बन्धी एकता कभी ठीक नहीं, क्योंकि यह नीतिविरुद्ध है और जलके बुलबुलेके समान झट नष्ट हो जाती है । तुम्हें चाहिये कि ऋजुता और सरलता बर्तो, सज्जन पुरुषोंके सङ्गमें
SR No.010129
Book TitleJina pujadhikar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherNatharang Gandhi Mumbai
Publication Year1913
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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