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________________ जितनी भूमि पर मंदिर का भवन निर्मित होता है, उतनी भूमि 'जगती' है। 'जगती' को आधार मानकर ही प्रासाद या मंदिर के मुख्यभाग और उसके अंगो की आनुमानिक स्थिति निर्धारित होती है। पीठ के भूतल के रूप में दिखाई पड़नेवाली जगती पर चारों ओर द्वारों या गोपुरों सहित प्राचीर का निर्माण किया जाए। मंदिर का प्रमुख अंग 'मंडप' 'मंडप' के कई भेद हैं: 'प्रसाद-कमल मंडप', जिसे 'गर्भगृह' या मंदिर का मुख्यभाग भी कहते हैं; 'गूढ-मंडप' अर्थात् मित्तियों से घिरा हुआ मंडप; 'त्रिक-मण्डप', जिसमें स्तंभो की तीन-तीन पंक्तियों द्वारा तीन आड़ी और तीन खड़ी वीथियाँ बनती है: 'रंग-मण्डप' जो एक प्रकार का सभागारहोता है; और 'तोरण- सहित बलानक' अर्थात् मेहराबदार चबूतरे। मंडप की चौड़ाई गर्भगृह की चौड़ाई से डेढ़गुनी या पौने दोगुनी हो। स्तंभों की ऊँचाई मंडप के व्यास की आधी हो, किंतु अधिक व्यावहारिक यह होगा कि स्तभ की ऊँचाई सामान्यतः उसकी पीठ की ऊँचाई से चौगुनी हो; चौकी उसकी पीठ से दोगुनी या तिगुनी हो और ऊपरी भाग पीठ के बराबर या उससे दोगुना हो । मंडप का एक शब्द-चित्र यहाँ प्रस्तुत है, जो पंडित आशाधर जी ने 'पूजा-पाठ ' में वास्तु-1 1-विधान के अंतर्गत खींचा है। 58 वाद्यवृंद के लहराते सगीत के बीच परमब्रह्म जिनदेव को पुष्पांजलि अर्पित की जाए, जो वास्तुमडप में विराजमान हैं। वह वास्तु-मंडप कैसा है? पानी, मिट्टी, पत्थर और बालू तक खुदाई कर भूमि से दूषित पदार्थ दूर करके उसे साफ बालू और ईंटो से ठोस बनाया गया, उस पर बनाई गई चौकी (प्लिंथ) पर चिकनी मिट्टी का लेप (प्लास्टर ) किया गया, उस पर वह वास्तु-मंडप बना है। वह सोने के ऐसे स्तंभों पर आधारित होती है, जिन पर पाँचों प्रकार के रत्नो (नीलम, वज्रक या लाजवर्द, पन्नारत्न, मोती, मूँगा ) से जड़े हुए पाँच तरह के अलंकार खुदे हैं, से वह सुसज्जित है तथा वह बदनवार और झंडियाँ निरंतर चलते शीतल-मंद सुगंधित हवा के झोंकों से हौले-हौले हिलती रहती हैं। सोने के शिखर पर जड़े मणियो की किरणों से आकाश को रंगीन करते हुए विमान से वह वास्तु-मंडप शोभायमान है । उसकी चारों दिशाओं में जो गोपुर-द्वार हैं, उनकी दोनों ओर भूमि पर जैन वास्तु-विद्या 66
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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