SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आधुनिक शैली का निर्माण आवास-गृहों का सामूहिक निर्माण भूमि, समय, श्रम और धन की बचत के लिए और सहकारिता की दृष्टि से सामूहिक आवास योजनाएँ अब सर्वत्र प्रचलित हो रही है। यद्यपि इनके अधिक लाभ हैं; किंतु कुछ हानियाँ भी है। अतः इनमें भूमि, भवन और साझा व्यवस्था में विवादों से बचने के लिए दीवारें, जीना, गृह-वाटिका (किचन गार्डन) आदि कम-से-कम बनाए जाएँ। सामूहिक आवास योजना के लिए भूखड के चयन में यह ध्यान रखना आवश्यक है कि बरसात के पानी का बहाव उत्तर-पूर्व की ओर हो। इसी तरह सड़को का निर्माण उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम मे हो। कॉलोनी के गेट दो हो, पूर्व मे और उत्तर मे। यह प्रयास किया जाए कि आवास चतुर्भुज आकार में हो; उनमें प्रातःकालीन सूर्य किरणो का प्रवेश हो सके। इस प्रकार के निर्माण मे सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से व्यक्तिगत और सामूहिक सुविधाएँ जुटाई जाएँ । सहकारिता की सद्भावना का अतिरिक्त लाभ उठाकर सांस्कृतिक, साहित्यिक और व्यावसायिक कार्य-कलाप हाथ मे लिए जाएँ । सहकारिता के इस माध्यम से अनेकता में एकता की स्थापना द्वारा देश-सेवा भी की जा सकती है। बहु-मंज़िले (मल्टी-स्टोरीड) भवन ___ वास्तु-विद्या के नियमो और उपनियमो की दृष्टि से, एक बहु-मंजिला भवन भी एक प्रकार की सामूहिक आवास योजना है। वैज्ञानिक और सामूहिक सुविधाएँ दोनों मे समानरूप से चाहिए। भूखड का ढलान उत्तर-पूर्व में हो, दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के तल की ऊँचाई अधिक हो। भवन की चारों ओर खुली जगह तथा दक्षिण-पश्चिम मे कम खाली स्थान छोडे । पूर्व मे खुली जगह पश्चिम से अधिक हो। उत्तर एव उत्तर-पूर्व में खुली जगह दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम से अधिक हो। भूखंड का दक्षिण-पश्चिम कोण समकोण हो, 90°, जिससे चौकोर या (जन वास्तु-विष्ण
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy