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________________ से व्यय कम ही होना चाहिए। इस प्रसंग में एक बहुत ही मनोरंजक किंतु सटीक उदाहरण दिया जा सकता है 'कमंडलु' का; जिसमें जल की आय का मुख बड़ा और जल के व्यय की टोंटी छोटी होती है इसीलिए कहना होगा कि “कमंडल में भूमंडल का अर्थशास्त्र छिपा है।" भूमि के क्षेत्रफल 22479 में उस मकान (की जाति या प्रकार) के अक्षरो की संख्या जोड़ी जाए, जो उस भूमि पर निर्मित हो रहा है। माने लें उस मकान की जाति हैं 'विजय', इसलिए 3 अंक जोड़ने पर संख्या हुई 22482; इसमें 4 की संख्या भी जोड़ी जाए, क्योंकि आयादि-षड्वर्ग में व्यय का स्थान चौथा है; तब योग हुआ 22482+4-224863; इसमें अंशों की संख्या 3 का भाग देने पर शेष बचा 1; इसलिए पहले क्रमांक का अंश 'इंद्र' माना जाए। 'तारा' जानने के लिए उपर्युक्त नक्षत्र 'उत्तरा फाल्गुनी' से गृहस्वामी के नक्षत्र रेवती तक गिनने पर 16 की संख्या आती है; उसमें तारा-संख्या 9 से भाग देने पर शेष बचा 7; इसलिए सातवें क्रमाक की तारा मानी जाए। गृह और गृहस्वामी की राशि आदि का मिलान गृह और गृहस्वामी की योनि, गण, राशि, तारा और नाडी का मिलान जन्म-नक्षत्र से होना आवश्यक है। जन्म-नक्षत्र का ज्ञान न हो, तो गृहस्वामी के प्रसिद्ध नाम या बोलचाल के नाम से जो नक्षत्र आता हो, उससे मिलान किया जाए। गृह का नाम उसके आकार-प्रकार के अनुसार वास्तु-विद्या में जो निर्धारित हो; उसका प्रयोग किया जाए: निर्धारित न हो सके, तो जो नाम उस गृह का प्रचलित हो, उसका प्रयोग किया जाए। या फिर अपनी पसंद का कोई भी नाम रखकर उसी से गृहस्वामी के नक्षत्र से मिलान किया जाए। ____मंदिर और गृहस्वामी के नक्षत्र से मिलान करना हो, तो मंदिर का वह नाम माना जाए, जो उसके मूलनायक का हो; अर्थात् मंदिर में मुख्य-मूर्ति जिस तीर्थकर की हो, उसी के नाम से वह मंदिर प्रसिद्ध होता है। उदाहरणस्वरूप किसी मंदिर में यदि आदिनाथ स्वामी की प्रतिमा मूलनायक के रूप में विराजमान है, तो उस मंदिर का नामकरण 'आदिनाथ स्वामी दिगंबर जैन मंदिर' -इस तरह से किया जायेगा। इस मिलान में यह तालिका सहायक होगीः (जन वास्तु-विद्या
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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