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________________ होगा। वास्तु-विद्या की लोकप्रियता का मुख्य कारण यही है कि उसके नियम-उपनियम गणित ज्योतिष के आधार पर बने हैं। पूजापाठ या कर्मकांड या क्रिया-कलाप का संबंध वास्तु-विद्या से इतना आत्मीय है कि वास्तु-विद्या पर स्वयं वास्तु-विद्या के ग्रंथों में उतना नहीं लिखा गया, जितना पूजा-प्रतिष्ठा के ग्रंथों में लिखा गया है। यह तथ्य जैन संदर्भ में विशेषतः उल्लेखनीय है, जहाँ वास्तु-शास्त्र पर स्वतंत्र ग्रंथों की संख्या अत्यंत सीमित है। शुद्धतावादी दार्शनिक, सुधारवादी समाजशास्त्री और विज्ञानप्रेमी गृहस्थ समर्थन करें या नहीं; किंतु भूमि-पूजन, गृह-प्रवेश आदि के समय मंत्र-शुद्धि एवं विधि-सम्पादन का चलन रहा है। On - (जन वास्तु-विधा
SR No.010125
Book TitleJain Vastu Vidya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopilal Amar
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1996
Total Pages131
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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