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________________ सम्बन्धी जीव को भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ० प्रश्नोत्तर ८१ से १८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र०६७-सकलचारित्र मुनिपना कष्टदायक, समझ में न आवे और २८ मूलगुणादि मुनिपना है। इस वाक्य पर संवरतत्व सम्बन्धी जीव को भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र०६८-निश्चय सम्यग्दर्शन कष्टदायक, समझ में न आवे और देव-गुरु-शास्त्र का श्रद्धान ही सम्यग्दर्शन है । इस वाक्य पर संवरतत्व सम्बन्धी जोव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? उ०-प्रश्नोत्तर ८१ से १८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ६६-सकलचारित्र निश्चय उपवास कष्टदायक, समझ में न आवे और रोटी छोड़ना ही उपवास है। इस वाक्य पर संवरतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए? उ.-प्रश्नोत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० १००-निश्चय सामायिक कष्टदायक, समझ में न आवे और मोकरादि का जपना ही सामायिक है। इस वाक्य पर संवरतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? उ०-प्रश्नोत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दो। निर्जरातत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण प्र० १०१-निर्जरातत्व के विषय में अज्ञानी क्या मानता है?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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