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________________ ( ५२ ) वाक्य पर संवरतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? उ०- प्रश्नोत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दी । प्र० ९२ - निश्चय एषणा समिति कष्टदायक, समझ में न आवे और निर्दोष आहार लेना, एषणा समिति है । इस वाक्य पर संवरतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? उ०- प्रश्नोत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दो । प्र० ३ - निश्चय उत्तमक्षमा कष्टदायक और समझ में न आवे और क्रोध न करना उत्तमक्षमा है । इस वाक्य पर संवरतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए । + उ०- प्रश्नोत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दो । प्र० ६४ - निश्चय गुणव्रत कष्टदायक समझ मे न आवे और गुणव्रत का शुभभाव ही सच्चा गुणव्रत है । इस वाक्य पर संवरतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? उ०- प्रश्नोत्तर ८१ से ८ तक के अनुसार उत्तर दो । । प्र० ५ - निश्चय क्षुधा परिषहजय कष्टदायक, समझ में न आवे और रोटी न खाना ही क्षुधा परिषहजय है । इस वाक्य पर संवरतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए ? उ०- प्रश्नीत्तर ८१ से ८८ तक के अनुसार उत्तर दो । प्र० e६ - देशचारित्र श्रावकपना कष्टदायक, समझ मे न आवे और १२ अणुव्रतादि श्रावकपना है। इस वाक्य पर संवरतत्त्व
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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