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________________ ( २२८) प्र० ३२१-पर्याप्ति कितनी होती है ? उत्तर-छह होती है-आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वास, भापा, और मन । प्र ३२२-एकेन्द्रिय जीव के कितनी पर्याप्ति होती है ? उत्तर-चार होती है - आहार, शरीर, इन्द्रिय और श्वास । प्र० ३२३-दो इन्द्रिय जीवो से लेकर असंज्ञी पचेन्द्रिय जीवो तक के कितनी-कितनी पर्याप्ति होती है ? उत्तर-प्रत्येक को पाच-पाच पर्याप्ति होती है । आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वास और भाषा। प्र० ३२४-सज्ञी पचेन्द्रिय जीव के कितनी पर्याप्ति होती हैं ? उत्तर-छह ही होती है-आहार, शरीर, इन्द्रिय, श्वास, भापा और मन। प्र० ३२५-यह पर्याप्तियाँ कब पूर्ण होती हैं ? उत्तर-एक अन्तर्मुहर्त में पूर्ण हो जाती है। प्र० ३२६-अपर्याप्तक जीव की क्या दशा है ? उत्तर-अपर्याप्तक जीव एक श्वास मे १८ बार जन्म-मरण करता है। प्र० ३२७-श्वास किसे कहते हैं ? उत्तर निरोग पुरुप की एक बार नाडी चलने मे जितना समय लगता है उसे श्वास कहते है। प्र० ३२८-श्वास की सख्या का माप क्या है ? उत्तर-४८ मिनट मे तीन हजार सात सौ तिहत्तर श्वास होते है। प्र० ३२६-पर्याप्तियो से क्या सिद्ध होता है ? उत्तर-जैसे सज्ञी पचेन्द्रिय जीव जब-जब जहाँ पर उत्पन्न होता
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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