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________________ ( २२६ ) प्र० ३१०-ज्ञानी-त्रस स्थावर मे क्यों उत्पन्न नहीं होते है ? उत्तर-अपने एक शुद्ध-बुद्ध एक स्वभाव का आश्रय होने से तथा विषयो मे सुख अभिलापा की बुद्धि ना होने के कारण ज्ञानी जीव त्रस-स्थावर मे उत्पन्न नहीं होते है।। प्र० ३११-भूल का कारण थोडे में क्या है ? उत्तर-एक मात्र एक शुद्ध-बुद्ध निज आत्मा की दृष्टि ना करना ही भूल का कारण है-कर्म या पर वस्तु या ईश्वर भूल का कारण नही है। प्र० ३१२-यदि जीव की सिद्ध दशा न मानी जावे तो क्या क्या दोष उत्पन्न होगा? उत्तर-(१) यदि सिद्ध जीव न हो तो जीवो की ससारी अवस्था भी साबित नहीं होगी, क्योकि ससारी दशा का प्रतिपक्ष भाव सिद्ध दशा है । (२) यदि जीव के ससार दशा ही नहीं होगी तो फिर धर्म करने और अधर्म को दूर करने का पुरुपार्थ ही नही रहेगा। चौदह जीव समास समणा अमणा या पचेन्द्रिय णिम्मणा परे सव्वे । बाहर सुमेहदी सव्वे पज्जत इदरा य ।। १२ ॥ अर्थ -(पचेन्द्रिय) पचेन्द्रिय जीव (समणा) मन सहित और (अमणा) मन सहित (णेया) जानना चाहिये । और (परे सवे) शेष सब (णिम्मणा) मन रहित जानना चाहिये। उनमे (एकेन्द्रिया) एकेन्द्रिय जीव (वादर सुहमे) बादर और सूक्ष्म यो दो प्रकार के है। (सत्वे) और वे सब (पज्जत्त) पर्याप्त (प) और (इदरा) अपर्याप्त होते है। प्र० ३१३-जीव समास किसे कहते है ? उत्तर-जिसके द्वारा अनेक प्रकार के जीव के भेद जाने जा सकेउसे जीव समास कहते है।
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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