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________________ (२२१ ) प्र० २८४-अरहन्त परमात्मा कैसे है ? उत्तर-अरहन्त भगवान परिपूर्ण सुखी है । प्र० २८५-संसारी जीवो के दूसरी तरह से कितने भेद है ? उत्तर-दो भेद है-स्थावर और त्रस । प्र० २८६-स्थावर जीव को स्पष्ट समझाओ ? उत्तर-सभी एकेन्द्रिय जीव स्थावर जीव है, वे पाँच प्रकार के है । पृथ्वीकाय, जलकाय, अग्निकाय, वायुकाय और वनस्पतिकाय । प्र० २८७-त्रस जीव कौन-कौन है ? उत्तर-दो इन्द्रिय से लेकर पचेन्द्रिय तक के जीव त्रस कहलाते है। प्र० २८८-शास्त्रो मे स्थावर-बस ऐसे भेद क्यो किये है ? उत्तर-जीव तो औदारिक आदि शरीर इन्द्रियो से सर्वथा भिन्न है अपने ज्ञान-दर्शनादि स्वभाव से अभिन्न है। उसका ज्ञान कराने के लिये व्यवहारनय से वस-स्थावर ऐसे भेद किये है। प्र० २८६-पंचास्तिकाय गाथा १२१ मे इस विषय में क्या बताया है ? उत्तर-शास्त्र कथित यह काय, इन्द्रियाँ, मन-सब पुद्गल की पर्याये है, जीव नही है। किन्तु उनमे रहने वाला जो ज्ञान-दर्शन है वह जीव है ऐसा जानना चाहिये । प्र० २६०-जीव स्थावर किस अपेक्षा कहा जाता है ? उत्तर-अनुपचरित असद्भूत व्यवहारनय से जीव स्थावर कहा जाता है। प्र० २६१-अनुपचरित असद्भूत व्यवहारनय से जीव स्थावर है इस वाक्य पर निश्चय व्यवहार के दस प्रश्नोत्तरो को समझाइये ? उत्तर--प्रश्नोत्तर १९८ से २०७ तक के अनुसार स्वय प्रश्नोत्तर बनाकर उत्तर दो।
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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