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________________ ( १८० ) प्र० १०२-प्राणो के कितने २ प्रकार है और किस-किस अपेक्षा से है ? उत्तर--प्राणो के तीन प्रकार है। (१) अनुपचरित असद्भुत व्यवहारनय से जड प्राण ससार दगा मे ही होते है। (२) उपचरित सद्भूत व्यवहारनय से भाव प्राण समार दशा में होते है । (३) युद्ध निश्चयनय से अनादि अनन्त चेतना प्राण प्राणी मात्र के पास है। (४) चौथे गुणस्थान से बारहवे गुणस्थान तक एकदेश अतीन्द्रिय भावप्राण और १३-१४ और सिद्ध दशा मे क्षायिक दशा रुप अतीन्द्रिय भावप्राण अनुपचरित सद्भूत व्यवहारनय से ज्ञानियो के हं ते हैं । प्र० १०३-जड प्राण किसका कार्य है और किसको किस दशा मे होते है । उत्तर--(१) पाच इन्द्रिया, ३ वल, आयु और श्वासोच्छवास ये जड प्राण पुद्गल द्रव्य की स्कध रुप पर्याय है । (२) अनुपचरित असद्भुत व्यवहारनय से जीव को ससार दशा मे सयोग रुप से ये जड प्राणो का सयोग होता है 1 प्र० १०४-भावप्राण किसका कार्य है और किसको किस दशा मे हो सकते है? उत्तर--(१) क्षयोपशम ज्ञान के उघाडरुप ज्ञान दगा (२) बल प्राण वीर्य गुण की क्षयोपशम दगा आदि जोव की दशा उपचरित सद्भूत व्यवहारनय से ससार दशा मे है। प्र० १०५--अनुपचारित असद्भूत व्यवहारनय से एकेन्द्रिय जीव के कितने जड़ प्राणो का सयोग होता है ? उत्तर--अनुपचरित असद्भूत व्यवहारनय से एकेन्द्रिय जीव के स्पर्शन इन्द्रिय, कायवल, आयु और श्वासोच्छवास इन ४ जड प्राणो का सयोग होता है। प्र० १०६- अनुपचरित असद्भूत व्यवहारनय से दो इन्द्रिय वाले जीव के कितने जड़ प्राणो का संयोग होता है ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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