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________________ ( १७८ ) ज्ञान की आवश्यकता है। प्र० ६१-भेद ज्ञान कितने प्रकार से करे तो ससार का अभाव मोक्ष की प्राप्ति हो? ___ उत्तर-एक प्रकार से ही भेद ज्ञान करे तो आत्म सन्मुख हो सकता है । (१) एक तरफ निज जीव तत्व और दूसरी तरफ अजीव तत्व से मेग किसी भी अपेक्षा किसी प्रकार का सम्वन्ध नहीं है। ऐसा जाने-माने तो ससार का अभाव मोक्ष की प्राप्ति हो। प्र० ६२-पर्याय किसे कहते है ? उत्तर-गुणो के कार्य को पर्याय कहते है। . प्र० ६३-पर्याय के कितने भेद हैं ? उत्तर-दो भेद है-व्यजन पर्याय और अर्थ पर्याय । प्र० १४-व्यजन पर्याय किसे कहते है और व्यंजन पर्याय के कितने भेद है ? उत्तर-द्रव्य के प्रदेशत्त्व गुण के विशेष कार्य को व्यजन पर्याय कहते है और व्यजन पर्याय के दो भेद है-स्वभाव व्यजन पर्याय और विभाव व्यजन पर्याय । प्र० ६५-अर्थ पर्याय किसे कहते है और अर्थ पर्याय के कितने भेद है ? उत्तर-प्रदेशत्व गुण के सिवाय सम्पूर्ण गुणों के कार्य को अर्थ पर्याय कहते है। और अर्थ पर्याय के दो भेद है-स्वभाव अर्थ पर्याय और विभाव अर्थ पर्याय । प्र० ६६-पर्याय का स्पष्टीकरण कहा देखे? उत्तर--जैन सिद्धान्त प्रवेश रत्नमाला तीसरे भाग मे पर्याय के वर्णन मे देखियेगा। प्र०६७-छहढाला मे इस विषय मे क्या बताया है ?
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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