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________________ ( १६३ ) प्र० १६ - जीव द्रव्य किसे कहते है और जीव द्रव्य कितने है ? उत्तर -- जिसमे सहज शुद्ध चैतन्यपना पाया जावे वे जीवद्रव्य है और वे जीवद्रव्य निगोद से लगाकर सिद्ध भगवान तक अनन्त है । प्र० २० - अजीव द्रव्य किसे कहते है और अजीवद्रव्य कितने है ? उत्तर- जिनमे ज्ञानदर्शन न पाया जावे उसे अजीवद्रव्य कहते है और अजीवद्रव्य जाति अपेक्षा पाच है और सख्या अपेक्षा पुद्गल अनन्तानन्त, धर्म-अधर्म - आकाश एकेक और लोकप्रमाण असख्यात कालद्रव्य, अनन्तानन्त है । प्र० २१ - जीव द्रव्य और जीव तत्त्व मे क्या अन्तर है ? उत्तर - ( १ ) जीवद्रव्य में निगोद से लगाकर सिद्ध भगवान तक सब जीव आ गये । और जीवतत्व मे जिसमे मेरा ज्ञान दर्शन पाया जावे, वह एक ही जीव आता है । प्र० २२ - जीव तत्त्व किसे कहते है ? उत्तर- जिसमे निज सहज शुद्ध चैतन्यपना पाया जावे - वह जीव तत्त्व है । प्र० २३ - अजीव तत्त्व किसे कहते है और अजीव तत्त्व मे कौनकौन आते है ? उत्तर- (१) जिनमे मेरा ज्ञान- दर्शन न पाया जावे वे अजीवतत्व है । मुझ निज आत्मा के अलावा विश्व के अनन्त जीव, अनन्तानन्त पुद्गल धर्म-अधर्म - आकाश एकेक और लोक प्रमाण असख्यात काल द्रव्य, ये सब अजीव तत्व मे आते है । प्र० २४ - जीव द्रव्य और जीव तत्त्व मे क्या अन्तर है ? उत्तर - जीवद्रव्य मे विश्व के सब जीव आ गये और जीवतत्त्व मे एक मात्र अपना जीव ही आता है । प्र० २५ - अजीव द्रव्य और अजीव तत्त्व मे क्या अन्तर है ? उत्तर- अजीव तत्त्व मे अनन्तानन्त पुद्गल, धर्म-अधर्म - आकाश '
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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