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________________ ( 136 ) प्रश्न १६६-श्रद्धागुण की पर्याय में निमित्त-नैमित्तिक क्या है ? उत्तर-श्रद्धागुण मे औदयिक, क्षायोपशमिक, औपशमिक और सायिक चार प्रकार की दशा नैमित्तिक है और दर्शनमोहनीय की उदय, अयोपशम, उपशम और क्षयदशा निमित्त है। प्रश्न १९७-श्रद्धागुण की चार दशा का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर-(१) श्रद्धागुण की पहले से तीसरे गुणस्थान तक मिथ्यास्वल्प औदयिक दशा है। (2) चौथे से सातवे गुणस्थान तक प्रथम औपशमिक अवस्था है। (3) आठवे से ११वे गुणस्थान तक द्वितीयोपशम अवस्था है। (4) चौथे से सातवे गुणस्थान तक क्षायोपशमिक दशा है / (5) चौथे गुणस्थान से सिद्वदशा तक क्षायिक दशा है। यह * सव नैमित्तिक दशा है। प्रश्न १९८-दर्शनमोहनीय को चार दशा का स्पष्टीकरण करो ? उत्तर-(१) पहले से तीसरे गुणस्थान तक उदयरूप अवस्था है। (2) चौथे से सातवे गुणस्थान तक प्रथम उपशम दशा है। (3) 8 से ११वे गुणस्थान तक द्वितीयोपशम दशा है / (5) चौथे से सातवें गुणस्थान तक क्षयोपशम दशा है। (6) चौथे गुणस्थान से सिद्धदशा तक क्षयरूप दशा है / यह निमित्त हैं। प्रश्न १९६-चारित्रगुण की पर्याय में निमित्त-नैमित्तिक क्या है ? उत्तर-चारित्रगुण मे क्षायोपशमिक, औदयिक, औपशमिक और सायिक दशा नैमित्तिक है और चारित्रमोहनीय का क्षयोपशम, उदय, उपशम और क्षयदशा निमित्त है। प्रश्न 200- चारित्रगुण की पर्याय में पूर्ण विभावस्प परिणमन 'कौन से गुणस्थान से कहाँ तक है तथा उसमें निमित्त-नैमित्तिक क्या है ? उत्तर-पहले से तीसरे गुणस्थान तक पूर्ण विभावरूप परिणमन है उसे औदयिक भाव कहते हैं यह नैमित्तिक हैं और चारित्रमोहनीय का उदय निमित्त है।
SR No.010119
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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